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Lumpy Virus Precaution : जिले के पशुओं का मूव्हमेंट प्रतिबंधित, लंपी बीमारी के कारण हाट बाजार, परिवहन रहेगा बंद

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बीमारी रोकने कलेक्टर ने जिले में लगाई धारा 144

बैतूल- Lumpy Virus Precaution – देश के राजस्थान में लाखों की संख्या में मवेशियों की जान ले चुकी पशुओं में फैल रही घातक बीमारी लंपी का असर अब जिले में भी दिखाई देने लगा है। जिले के मवेशियों को इस बीमारी से बचाने के लिए कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी अमनबीर सिंह बैंस ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 समूचे जिले में लगा दी है। इसके तहत अब कोई भी पशु पालक अपने मवेशियों को जहां सार्वजनिक स्थलों पर चारा-पानी के लिए नहीं छोड़ सकेगा। वहीं जिले भर के पशु हाट बाजार भी प्रतिबंधित रहेंगे। कलेक्टर ने श्री बैंस ने यह निर्णय जन सामान्य के हित/जानमाल एवं लोक शांति को बनाये रखने हेतु बैतूल जिले की संपूर्ण सीमा क्षेत्र में निम्नानुसार प्रतिबंधित किया है।

क्या है लंपी बीमारी

लपी स्किन डिसीज पशुओं की एक वायरल बीमारी है, जो की पॉक्स वायरस द्वारा पशुओं में फैलती है। यह रोग मच्छर काटने वाली मक्खी एवं टिक्स आदी से एक पशु से दूसरे पशु में फैलता है। वर्तमान में जिला बैतूल में लंपी वायरस के संक्रमण से कई पशु संक्रमित हुए है। उक्त संक्रमण मुख्यत: गौवंश में ज्यादा फैल रहा है।

एक माह के लिए लागू की धारा 144

जिला दण्डाधिकारी एवं कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस का यह आदेश दिनांक 13 सितम्बर 2022 से 13 अक्टूबर 2022 तक प्रभावशील रहेगा तथा उक्त प्रभावशील अवधि में उक्त आदेश का उल्लघन धारा 188 भारतीय दण्ड विधान अंतर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आएगा। इस आदेश के तहत संपूर्ण जिला बैतूल में पशु मेला एवं पशु हाट बाजारों को प्रतिबंधित रहेगा। संपूर्ण जिला बैतूल सीमा क्षेत्र में पशुओं के परिवहन को प्रतिबंधित रहेगा। अन्य जिलो / राज्यों से बैतूल जिला क्षेत्र की सीमा में पशुओं को प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा एवं पशु पालको द्वारा पशुओं को जंगलो / सार्वजनिक स्थलों पर चराई हेतु एवं सार्वजनिक जलाशयों से पानी पीने हेतु छोडऩे पर प्रतिबंध लगाया दिया गया है।

भैंसदेही में हो चुकी दस्तक

बैतूल में भी जानवरों में लंपी रोग की दस्तक हो गई है। यहां भी डेढ़ सौ से ज्यादा पशुओं में रोग के लक्षण मिले हैं। जिसके बाद पशु चिकित्सा विभाग वैक्सिनेशन में जुट गया है। जिले के भैसदेही तहसील इलाके में सबसे ज्यादा मवेशी लंपी से पीडि़त पाए गए हैं। जबकि, आठनेर के बोथी में भी इस रोग से पीडि़त पशुओं की खासी तादाद मिली है। पशु चिकित्सा विभाग इसके लिए जिले में सर्वे भी शुरू कर चुका है। जबकि रोग से निपटने वैक्सीनेशन का अभियान भी शुरू किया गया है।

ऐसे होती है रोग की शुरुआत

उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. विजय पाटिल ने बताया कि गौवंशीय पशुओं में फैलने वाला लंपी स्किन डिसीज विषाणु जनित रोग है। सामान्यत: यह बीमारी एक पशु से दूसरे पशु में मच्छर, काटने वाली मक्खी, किलनी, जुएं या अन्य बाह्य परजीवियों के काटने से फैलती है। इसके अतिरिक्त यह संक्रमित पशुओं की लार, दूषित जल एवं चारे से भी फैलती है। इस रोग की शुरुआत में पशु को बुखार आता है इसके पश्चात पूरे शरीर की त्वचा पर गठानें बन जाती है। यह गठानें गोल उभरी हुई होती हैं। गठानें घाव में भी बदल जाती हैं। आंख और नाक से पानी आता है साथ ही दुग्ध उत्पादकता में कमी, गर्भपात और कभी- कभी पशु की मृत्यु भी हो जाती है।

स्वस्थ्य होने में लगता है समय

पशु को स्वस्थ्य होने में 2-3 सप्ताह का समय लगता है। लेकिन दुग्ध उत्पादकता में कमी कई सप्ताह तक बनी रहती है। विभाग द्वारा समस्त रोगी पशुओं का उपचार नियमित रुप से किया जा रहा है। रोग के प्रसार को रोकने के लिए विभाग द्वारा प्रभावित ग्रामों के चारों ओर के ग्रामों में रिंग वेक्सीनेशन (टीकाकरण) किया जा रहा है। पशुपालकों से अपील की जाती है कि वे संक्रमित पशुओं का उपचार करावें स्वस्थ्य पशुओं को प्रभावित पशुओं से अलग रखे। पशुओं का टीकाकरण करवाएं। पशुओं को रखने के स्थान की साफ-सफाई रखें, उचित उपाय कर मच्छर, मक्खी, किलनी आदि बाह्य परजीवियों पर नियंत्रण रखें तथा लम्पी स्किन डिसीज के लक्षण दिखने पर तत्काल निकटतम पशु चिकित्सालय में सूचना दें।

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