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Lok Sabha Election – विधानसभा हारने वालों को दी लोकसभा जिताने की जिम्मेदारी

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29 कार्डिनेटर में से 19 हार चुके हैं चुनाव

Lok Sabha Electionविधानसभा चुनाव के बाद सबसे पहले संगठन में फेरबदल करते हुए विधानसभा चुनाव हारे जित्तू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। इसी के साथ वरिष्ठ विधायक उमंग सिंघार को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया गया। इसके बाद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश चुनाव समिति एवं प्रदेश चुनाव अभियान समिति का भी गठन किया। इन समितियों में भी कोई नया नाम नहीं दिखाई दिया।

वहीं कल कांग्रेस ने मध्यप्रदेश की सभी लोकसभा सीटों के लिए कार्डिनेटर भी नियुक्त कर दिए हैं। जिनमें बैतूल लोकसभा की जिम्मेदारी भोपाल मध्य के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद को दी गई। लेकिन कांग्रेस ने जिन 29 नेताओं को कॉर्डिनेटर नियुक्त किए हैं उनमें से 19 ऐसे कॉर्डिनेटर बनाए गए हैं जो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। राजनैतिक समीक्षकों का इसको लेकर यह मानना है कि जो नेता एक विधानसभा सीट से चुनाव नहीं जीत पाए वो 8 विधानसभा वाले लोकसभा सीट में कांग्रेस की जीत के लिए क्या कर पाएंगे?

29 कार्डिनेटर में से 19 हारे हुए | Lok Sabha Election

मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 19 कॉडिनेटर ऐसे बनाएं है जो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इनमे विपिन वानखड़े को ग्वालियर, लाखन सिंह को गुना, रामचंद दांगी को सागर, संजय यादव को खजुराहो, तरूण भनोट को सतना, विनय सक्सेना को सीधी, अशोक मर्सकोले को शहडोल, सुखदेव पांसे को जबलपुर, सुखेंद्र सिंह को मंडला, संजय शर्मा को बालाघाट, सुनील जायसवाल को छिंदवाड़ा, दीपक जोशी को होशंगाबाद, हर्ष यादव को विदिशा, प्रियव्रत सिंह भोपाल, सत्यनारायण पटेल को राजगढ़, विशाल पटेल को देवास, बाबूलाल यादव को उज्जैन, रवि जोशी धार एवं रामलाल मालवीय को खरगोन का कॉडिनेटर बनाया गया है।

छिंदवाड़ा के किसी नेता को नहीं बनाया कॉडिनेटर

कांग्रेस हाईकमान ने जबलपुर के चार नेताओं को प्रदेश की विभिन्न लोकसभा सीटों पर कॉडिनेटर बनाया है जिनमें से लखन घनघोरिया चुनाव जीते हैं, बाकी तीन में संजय यादव, तरूण भनोट और विनय सक्सेना विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। जबकि छिंदवाड़ा संसदीय सीट की सभी सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार विधायक निर्वाचित हुए हैं बावजूद इसके छिंदवाड़ा जिले के किसी भी नेता को कॉडिनेटर नहीं बनाया गया है। यह कमलनाथ का कांग्रेस में घटते प्रभाव का परिचायक बताया जा रहा है।

27 साल से नहीं जिता पाए कांग्रेस को | Lok Sabha Election

1996 से लगातार 8 चुनाव में बैतूल लोकसभा सीट पर कांग्रेस की लगातार करारी हार हुई है। कमलनाथ के कट्टर समर्थक सुखदेव पांसे को जबलपुर लोकसभा सीट का कॉडिनेटर बनाया गया है। श्री पांसे 2008 में हुए लोकसभा के उपचुनाव में स्वयं हार चुके हैं। माना जाता है कि सुखदेव पांसे के कहने पर ही 2009 में ओझाराम इवने को और 2019 में रामू टेकाम को कांग्रेस ने टिकट दी थी। और दोनों ही बड़े अंतर से चुनाव हारे थे। जो नेता अपनी स्थानीय लोकसभा सीट को नहीं जिता पा रहे हैं उन्हें दूसरी लोकसभा सीट का कॉडिनेटर बनाए जाने पर राजनैतिक हल्को में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है।

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