ना है रजिस्ट्रेशन ना ही है कोई हिसाब
भाग-1: खबरवाणी एक्सपोज
Khabarvani expose: बैतूल। पिछले दिनों फटाखा बाजार को लेकर चर्चाओं में आए बैतूल फटाखा संघ का एक नया विवाद सामने आया है। सदस्यों से ली गई राशि की रसीदें अब सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी है। सदस्यों ने काटी गई रसीदों को लेकर संघ से हिसाब भी मांगा है और इसे अवैध वसूली का नाम भी दिया है। बैतूल फटाखा संघ के व्हाट्सएप गु्रप के चैट का स्क्रीन शॉट जो वायरल हुआ है उसके हिसाब से बैतूल फटाखा संघ में काटी गई रसीदों से जो राशि एकत्रित हुई है उसके खर्च पर भी सवाल उठ रहे हैं। वैसे तो दीपावली के पहले भी बैतूल फटाखा संघ में जूतम पैजार की स्थिति निर्मित हो गई थी और मारपीट की कोतवाली में शिकायत भी दर्ज कराई गई थी।
स्वयं भू अध्यक्ष ने बढ़ाया था विवाद
बैतूल फटाखा संघ का स्वयं भू अध्यक्ष बने राजेश साहू ने पूरे संघ के सदस्यों को पहले फटाखा दुकानें लगाने को लेकर स्थान के लिए विवादों में उलझा रखा कि यहां नहीं लगेगी वहां नहीं लगेगी। इसके बाद जब करीब 10 दिनों तक फटाखा दुकानें कहां लगना यह तय नहीं हो पाया तो संघ के सदस्य मुखर हो गए और अध्यक्ष के विरोध में ही उतर आए। इसके बाद दुकानदारों ने प्रशासन के पास जाकर उन्हें चयनित स्थल पर ही दुकानें लगाने की सहमति दी जिसके बाद फटाखा बाजार प्रशासन के द्वारा अधिकृत स्थान पर लगाया गया। इसके बाद स्वयं भू अध्यक्ष दुकानदारों को छोड़ स्वयं अकेले फटाखा दुकान बडोरा में लगा ली।
अवैध वसूली का लगा आरोप
बैतूल फटाखा संघ के सदस्य कौशल बावसे ने बताया कि संघ के व्हाटसएप गु्रप पर हिसाब लेने के लिए मैसेज डाला था। इसको लेकर कुछ और मैसेज आए जिसके बाद इस गु्रप को ऑनली एडमिन कर दिया गया। संघ सदस्यों से राशि लेकर रसीद तो काटता है पर इसका कोई खर्च नहीं होता है। यह अवैध वसूली है जिसका हिसाब-किताब भी नहीं दिया जा रहा है। श्री बावसे ने आरोप लगाया है कि रसीद काटने में दादागिरी की गई जो लोग रसीद नहीं कटवा रहे थे उन्हें दुकान आवंटन प्रक्रिया में शामिल नहीं होने दिया जा रहा था जिससे लोगों ने मजबूरी में रसीद कटवाई हैं। संघ के कई सदस्यों का स्पष्ट कहना है कि फटाखा संघ का कोई भी रजिस्ट्रेशन आज तक नहीं हुआ है।
संघ का नहीं है रजिस्ट्रेशन
बैतूल फटाखा संघ के सचिव भरत पटेल से जब पूछा गया कि संघ का रजिस्ट्रेशन है या नहीं? इस पर उन्होंने कहा कि यह जानकारी अध्यक्ष ही दे पाएंगे। जब उनसे पूछा गया कि सदस्य हिसाब मांग रहे हैं तो उनका कहना था कि अभी तो दुकानें उठी हैं, अब बैठक होगी उसमें हिसाब दिया जाएगा। जब उनसे वसूल की गई राशि के खर्च के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि चिल्लर खर्च होता है जिसमें खाना-पीना और फोटोकॉपी शामिल होती है। जिसका हिसाब मेंटनेंट किया जाता है।