Interesting story: विदिशा, जो देश के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है, वहां धन के देवता कुबेर की 12 फीट ऊंची बलुआ पत्थर से बनी एक विशाल प्रतिमा स्थित है। यह प्रतिमा स्थानीय पुरातत्व संग्रहालय के मुख्य द्वार पर स्थापित की गई है और इसे अब तक की सबसे प्राचीन और ऊंची कुबेर प्रतिमाओं में से एक माना जाता है।
प्रतिमा की विशेषताएं
दूसरी शताब्दी की मानी जाने वाली इस प्रतिमा की ऊंचाई करीब 12 फीट और चौड़ाई ढाई फीट है। इसे एक ही पत्थर से उकेरा गया है। प्रतिमा में कुबेर खड़े हुए हैं, सिर पर पगड़ी, कानों में कुंडल, गले में कंठा, और कंधे पर उत्तरीय वस्त्र पहने हुए हैं। उनके एक हाथ में धन की पोटली मानी जाने वाली थैली भी है। माना जाता है कि धनतेरस पर कुबेर के दर्शन करना विशेष फलदायक होता है, इसलिए श्रद्धालु संग्रहालय में स्थापित इस प्रतिमा के दर्शन करने आते हैं।
रोचक इतिहास
पुरातत्वविद डॉ. नारायण व्यास के अनुसार, यह प्रतिमा सैकड़ों वर्षों तक बेस नदी में पेट के बल पड़ी हुई थी। आसपास के लोग इसे सामान्य चट्टान समझकर इस पर कपड़े धोते थे। 1954 के आसपास, जब नदी का जलस्तर घटा, तो प्रतिमा का एक भाग उजागर हुआ। इसके बाद पुरातत्व विभाग ने इस प्रतिमा को सर्किट हाउस ले जाकर सुरक्षित किया और संग्रहालय के बनने पर इसे मुख्य द्वार पर स्थापित कर दिया।हालांकि संग्रहालय में पूजा की अनुमति नहीं है, परंतु श्रद्धालु धनतेरस के अवसर पर अपने घरों में पूजन करने के बाद कुबेर की प्रतिमा के दर्शन करने संग्रहालय अवश्य पहुंचते हैं।
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