साप्ताहिक बाजार के दिन घटती हैं अधिक घटनाएं
Incidents:बैतूल। जिले में आपराधिक घटनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही है। वारदातों के चलते पुलिस भी अपराधियों को पकडऩे के लिए परेशान रहती है लेकिन वारदात को अंजाम देने वाले पुलिस की पकड़ से इसलिए दूर हो जाते हैं क्योंकि वह स्थानीय नहीं है। देखने में आ रहा है कि साप्ताहिक बाजार एवं प्रमुख भीड़ भाड़ भरे वाले आयोजनों के दौरान बाहर से कुछ महिला-पुरूष एवं बच्चे आकर गंज पर रूकते हैं और घटनाओं को अंजाम देने के बाद फरार हो जाते हैं। पुलिस स्थानीय अपराराधियों की धरपकड़ तो करती है लेकिन पुलिस के हाथ कुछ नहीं लग पाता है। दरअसल बाहर से आकर रूकने वाले लोगों पर यदि पुलिस नजर रखे तो ना सिर्फ वारदातों पर अंकुश लग सकता है बल्कि अपराधी भी पकड़ में आ सकते हैं।
महिलाएं करती हैं अन्य कार्य
जानकार बताते हैं कि बाहर से कुछ लोग गंज क्षेत्र में आकर मैदान में डेरा जमाकर रहते हैं इनकी गतिविधियां संदिग्ध रहती हैं। इनके साथ आने वाली महिलाएं वैसे तो दिखाने के लिए दूसरा काम करती हैं। जो बच्चों के खेल-खिलौने सदर चौपाटी आदि भीड़ भाड़ भरे स्थान पर बेचती हैं। इनके साथ जो पुरूष रहते हैं वो आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। वैसे पिछले कई दिनों से बैतूल में सूने घरों में चोरी, मोबाइल चोरी और अन्य ऐसी चोरी की वारदात बढ़ती जा रही है।
पड़ोसी जिले की ले गई थी पुलिस
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि डेरा जमाकर बैतूल में कुछ समय के लिए रहने वाले ऐसे ही तीन अपराधिक गतिविधियों में लिप्त युवकों को कुछ समय पूर्व पड़ोसी जिले की पुलिस गंज में कांतिशिवा चौराहे के सामने से उठाकर ले गई थी। उस समय कार में आए पुलिस अधिकारी ने इनमें से एक अपराधी की फोटो खींचकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों से पहचान भी कराई थी। और पुष्टि होने पर पुलिस अधिकारी अपने साथ ले गए थे। इन पर हत्या और डकैती का आरोप बताया गया था।
प्रमुख त्यौहारों के समय लगाते हैं डेरा
अक्सर देखने में आता है कि गणेशोत्सव, नवदुर्गा, कार्तिक मेला, हनुमान जयंती सहित अन्य भीड़-भाड़ वाले आयोजनों के दौरान यह लोग अपना डेर गंज क्षेत्र में लगा लेते हैं। डेर की महिलाएं जहां बच्चों के लिए नेहरू पार्क के सामने, चौपाटी सहित अन्य स्थानों पर खिलौने बेचने का काम करती है तो वहीं डेरे के पुरूष जेब काटना, मोबाइल चोरी करना सहित अन्य अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। दरअसल यह लोग अपराध करने के बाद फरार हो जाते हैं इसलिए पुलिस इन्हें पकड़ नहीं पाती है। यदि पुलिस डेरे में आए लोगों की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखे तो निश्चित रूप से अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लग सकता है। यह भी जानकारी मिली है कि पुलिस इनको जब एक स्थान से भगाती है तो यह लोग दूसरी जगह सामान बेचने लगती हैं।