IAS Amanbir Singh Bains – अनुवाशिंक बीमारी रोकने कलेक्टर की अनुकरणीय पहल

सिकलसेल-थैलिसीमिया पीडि़त बच्चों के अभिभावकों की हुई काउंसलिंग, ग्रह-नक्षत्रों की कुंडली मिलाने के साथ एक बार जरूर मिलवाए स्वास्थ्य कुंडली

IAS Amanbir Singh Bainsबैतूल सिकलसेल थैलेसीमिया एक ऐसी अनुवाशिंक बीमारी है जो कि पीढ़ी-दर पीढ़ी आगे बढ़ती है। हम इस गंभीर बीमारी को थोड़ी सी जागरूकता के साथ खत्म कर सकते हैं।

अभिभावक युवक-युवती का विवाह करने से पूर्व ग्रह-नक्षत्र के मिलान के लिए कुंडली मिलवाते हैं जो कि अच्छी बात है लेकिन उससे भी अच्छी बात यह होगी कि विवाह से पूर्व एक बार अनिवार्य रूप से यदि स्वास्थ्य कुंडली मिलाई जाएगी तो निश्चित रूप से अत्यधिक गंभीर कही जाने वाली सिकलसेल -थैलेसीमिया नाम की बीमारी पैदा होने वाले बच्चों में नहीं होगी।

ध्यान रखे यदि सिकलसेल-थैलेसीमिया पीडि़त दम्पत्ति का बच्चा होता है तो उसे जिंदगी भर सुईयों की चुभन सहते हुए बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा उन्हें अन्य शारीरिक रोग होते हैं जिनका दर्द भी बच्चे को सहना पड़ता है। इन सभी परेशानियों से निजात हम विवाह से पूर्व स्वास्थ्य कुंडली का मिलान कर सकते हैं।

उक्त उद्बोधन होटल आईसीइन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित शिविर सिकलसेल थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों की काउंसलिंग के लिए जिले के 6 विकासखंडों से आए पालकों को संबोधित करते हुए जिला कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस ने कही।

जिले में हैं 15 हजार एनीमिक बच्चे | IAS Amanbir Singh Bains

कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस ने बताया कि जिले में उनके निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए गए अभियान में जो आंकड़ा सामने आया है वह निश्चित रूप से चिंताजनक है। कलेक्टर श्री बैंस ने कहा कि जिले में 6 साल से 19 साल तक के करीब 15 हजार ऐसे बच्चे सामने आए हैं जो कि एनीमिक हैं।

वहीं लगभग 300 बच्चे ऐसे मिले हैं जो कि सिकलसेल और थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हैं। कलेक्टर ने कहा कि अभिभावक थोड़ी सी जागरूकता का परिचय देते हुए इस गंभीर बीमारियों से आने वाले बच्चों को स्वस्थ्य और तंदरूस्थ हो इसकी पहल कर सकते हैं।

प्रदेश में जिले से हुई अनूठे अभियान की पहल

मध्यप्रदेश में संभवत: बैतूल जिले से पहली बार ऐसी पहल हुई है कि जिसमें पैदा होने वाले बच्चों को सिकलसेल और थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाने के लिए कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस द्वारा अभियान प्रारंभ करने का अनुकरणीय प्रयास किया गया है। निश्चित रूप से यदि इस अभियान को मूर्तरूप दिया जाता है तो ना सिर्फ कलेक्टर श्री बैंस की मंशा फलीभूत होगी बल्कि पैदा होने वाले बच्चे भी सिकलसेल और थैलेसीमिया पीडि़त नहीं होंगे। चार विकासखंडों के पालकों का शिविर कल आयोजित किया जाएगा।

भगत-भूमका नहीं डॉक्टर के पास होता है इलाज | IAS Amanbir Singh Bains

शिविर को संबोधित करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष राजा पंवार ने कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अच्छी पहल की है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि बच्चों की चिंता की माता-पिता को होती है। हमारी सरकार भी बच्चों की चिंता कर रही है।

मध्यप्रदेश का पहला शिविर बैतूल में आयोजित किया गया है। यह अनुवांशिक बीमारी है इसके लिए माता-पिता अपनी जांच कराएं। उन्होंने यह भी अपील की है कि इस बीमारी को लेकर भगत-भूमका के पास ना जाए, इसका उपचार डॉक्टर ही कर सकते हैं।

वैज्ञानिक रविंद्र कुमार ने किया जागरूक

शिविर में आईसीएमआर जबलपुर के वैज्ञानिक डॉ. रविंद्र कुमार ने सिकलसेल थैलेसीमिया को लेकर आए बच्चों और उनके अभिभावको को बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी। इसके साथ यह भी बताया कि पीडि़त बच्चों की देखरेख किस तरह से करना है। उन्होंने कहा कि सिकलसेल के रोगी दो प्रकार के होते हैं।

सिकलसेल वाहक एवं सिकलसेल रोगी। सिकलसेल वाहक में गंभीर लक्षण नहीं होते किंतु यह एक असामान्य जीन को अगली पीढ़ी में संचालित करता है। सिकल सेल की पहचान विशेष रक्तजांच से की जा सकती है।

617 बच्चे हैं चिन्हित | IAS Amanbir Singh Bains

शिविर में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा ने बताया कि जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में सिकलसेल के 617, थैलेसीमिया के 6 बच्चे और वाहक 59 चिन्हित हैं। आज शिविर में 6 विकासखंडों से 113 परिवार शामिल होने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें लगभग अधिकांश परिवार शामिल हुए।

शिविर में जिपं सीईओ अभिलाष मिश्रा, सीएमएचओ डॉ. सुरेश जाटव, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जगदीश घोरे, मीडिया आफिसर श्रुति गौर तोमर सहित स्वास्थ्य विभाग के विकासखंडों से आए चिकित्सक और कर्मचारी मौजूद थे।

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