बिना भर्ती परीक्षा में शामिल हुए अतिथि शिक्षक नहीं हो पाएंगे नियमित
Guest teacher: मध्यप्रदेश में नियमितीकरण की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे अतिथि शिक्षकों को हाल ही में एक बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट के आदेश पर लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने स्पष्ट कर दिया है कि अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, सीधी भर्ती में 25 फीसदी आरक्षण के प्रावधान के तहत ही उन्हें मौका दिया जाएगा।
DPI का आदेश
DPI ने यह स्पष्ट किया है कि मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) भर्ती नियम 2018 और संशोधित नियम 2022 के अनुसार, नियमित शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में 25 फीसदी पद अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित रहेंगे। हालांकि, यह आरक्षण भी केवल उन शिक्षकों के लिए होगा, जिन्होंने न्यूनतम तीन शैक्षणिक सत्रों और 200 दिन बतौर अतिथि शिक्षक सेवा दी है। इसका मतलब यह है कि बिना पात्रता परीक्षा पास किए अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण संभव नहीं है। यदि आरक्षित पद नहीं भरे जा सके, तो अन्य पात्र उम्मीदवारों से ये रिक्तियां भरी जाएंगी।
अतिथि शिक्षकों की निराशा
अतिथि शिक्षक, जो लगभग 10 से 15 साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, सरकार के इस फैसले से काफी निराश हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमितीकरण की मांग की थी, जिसमें उनका दावा था कि वे पहले से ही शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास कर चुके हैं और उनके पास बीएड और डीएड जैसी शैक्षणिक योग्यताएं भी हैं। उन्होंने अन्य राज्यों में अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण के उदाहरण देकर मध्यप्रदेश में भी इसी तरह के कदम उठाने की मांग की थी।
सरकार के वादे पर सवाल
अतिथि शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने नियमितीकरण का वादा किया था, लेकिन अब वह अपने वादों से मुकर रही है। अतिथि शिक्षक संघ के प्रवक्ता रविकांत गुप्ता ने कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा इस उम्मीद में गुजार दिया कि उन्हें नियमित किया जाएगा। अब अतिथि शिक्षक संघ सुप्रीम कोर्ट में न्याय की गुहार लगाने की योजना बना रहा है, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा।
नियमितीकरण के लिए कानूनी लड़ाई
मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों ने 2019 में भी नियमितीकरण की मांग उठाई थी, जिसके बाद DPI ने उनके मामलों का निराकरण करने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद, 2024 तक इस मामले में कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया, जिसके कारण अतिथि शिक्षकों ने कोर्ट का रुख किया। अब सुप्रीम कोर्ट में जाने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।
निष्कर्ष
अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सरकार के फैसले से नाराज अतिथि शिक्षक अब न्याय की उम्मीद के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।
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