जाने गाय भैस के दूध की मात्रा कैसे बढ़ाये अच्छे आहार से देंगे जानवर अधिक दूध पड़े पूरी जानकारी।

जानें, कैसे तैयार करें प्रविष्टियों के लिए संतुलित आहार और किन बातों का ध्यान रखें
भारत में प्राचीनकाल से पशुपालन किया जा रहा है। इसमें मुख्यत: गाय, भैंस जैसे दुधारू अधिकारियों को दूध उत्पादन की दृष्टि से देखा जाता है। अधिकतर पशुपालकों की शिकायत रहती है कि उनका पशु कम दूध देता है या दूध की गुणवत्ता में कमी है। यदि ऐसी कोई समस्या पशुपालकों के सामने आ रही है तो आपको ये जान लेना चाहिए कि अधिकारियों के संबंध में कोई नौकरी नहीं है या फिर पशु स्वस्थ नहीं है। हालांकि कुछ वर्षों के बाद पशुओं के दूध की मात्रा में कमी आ जाती है। लेकिन जरूरत से ज्यादा दूध की मात्रा में कमी आ रही है तो इसके लिए आपको जानवरों के आहार पर ध्यान देना चाहिए। आज हम खबरवानी के माध्यम से किसानों को दूधारू पशु गाय एवं भैंस के संतुलित आहार के विषय में आपको जानकारी दे रहे हैं ताकि आप पशु से गुणवत्तापूर्ण अधिक मात्रा में दूध प्राप्त कर सकें।

जाने गाय भैस के दूध की मात्रा कैसे बढ़ाये अच्छे आहार से देंगे जानवर अधिक दूध पड़े पूरी जानकारी।

किन चीजों पर टिका रहता है दूध की गुणवत्ता और मात्रा
किसी में दूध की मात्रा और गुणवत्ता वाले घरेलू खाने वाले आहार पर काम करते हैं। यदि आप पर्याप्त मात्रा में पशु को संतुलित आहार लेते हैं जिसमें सूखा करित, हरा करिट और इसके अलावा चारा, गुड या कोई अन्य प्रकार का अनाज आहार दे रहे हैं तो इसमें इसकी मात्रा का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। संतुलित आहार पत्रक यह है कि ऐसा आहार जिसमें सभी अवयव निर्धारित मात्रा में शामिल हो। संतुलित आहार से पशु स्वस्थ तो रहते ही हैं साथ ही उनकी दूध देने की क्षमता में भी सुधार होता है।

क्या होता है संतुलित आहार
संतुलित आहार सामग्री को कहते हैं जो किसी विशेष पशु की 24 घंटे की निर्धारित पौषाणिक आवश्यकताओं की जांच करता है। ऐसा आहार जिसमें कार्बन, वसा और प्रोटीन का विशेष अनुपात सही मात्रा में शामिल हो। संतुलित आहार चारे व दाने का ऐसा मिश्रण होता है जिसमें पशु को स्वस्थ रखना, वृद्धि, उत्पादन या कार्य करने के लिए विभिन्न पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण एवं विटामिन आदि एक निश्चित मात्रा एवं निश्चित अनुपात में उपलब्ध होते हैं।

इंसान के आहार विज्ञान
पशु को उसकी आवश्यकताओं की जांच के लिए 24 घंटे में जितना करित व दाना दिया जाता है, वह मात्रा राशन (आहार) कहलाती है। पशुओं को उनके शरीर के भार के अनुसार, उनके जीवित रहने के लिए निर्जीव आहार, वृद्धि, उत्पादन और कार्य के लिए महत्वपूर्ण आहार की आवश्यकता होती है। इस तरह से जानवरों के लिए दो तरह का आहार होता है।
जीवन निर्जीव आहार- ये आहार पशु को जीवित रहने के लिए जरूरी है। इस आहार से केवल अपना जीवन निर्वाह कर सकता है। इस आहार को देने से दूध को केवल सींक नहीं जा सकता है। ये आहार तो सिर्फ उसके शरीर को चलाने का काम करता है न की दूध की मात्रा बढ़ाने का।
प्रबल आहार- दूसरा आहार, प्रबल आहार होता है। दस्तावेजों में बदलाव, उत्पादन और कार्य के लिए प्रभावी आहार की आवश्यकता होती है। इस आहार से पशुओं के दूध की मात्रा में सुधार किया जा सकता है। इस आहार के सेवन से पशु स्वस्थ और बढ़ते हैं। जब अतिसक्रिय पोषक तत्व एनिमल को मिलते हैं तो शरीर में आप में सुधार होता है और इससे एनिमल की दूध देने की क्षमता भी बढ़ती है।
एक अच्छा संतुलित आहार सुविधाएँ
संतुलित आहार में सुविधाएं होती हैं। पशु को संतुलित आहार देते समय इन चीजों की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए जो इस प्रकार से हैं-

जो आहार पशु दिया जा रहा है वह स्वादिष्ट और सुपाच्य होना चाहिए।
आहार स्वच्छ, अन्नपूर्णा हो। यह विषैला, सादा-गला, दुर्गंध युक्त व अखाद्य पदार्थों से नहीं बना।
आहार आसानी से उपलब्ध, स्थानीय चक्कर के उपयोग से बनाया जाना चाहिए ताकि पागल भी हो।
करित भली-भांति तैयार किए जाने चाहिए। जिससे वह आसानी से पचने वाले बन जाते हैं। सख्त दाने जैसे-जौ, आदि मक्का को दलिया के रूप में दलवा लेना चाहिए।
चारे वदाने का प्रकार अचानक किसी को नहीं चाहिए। चार में धीरे-धीरे बदलाव लाना चाहिए, ताकि पशु आहार प्रणाली पर गलत प्रभाव न पड़े।
गाय एवं भैंसों को शुष्क पदार्थों की आवश्यकता होती है
गाय एवं भैंसों में शुष्क पदार्थों की खपत प्रतिदिन 2.5 से 3.0 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम शरीर भार के अनुसार होती है। इसका मतलब यह हुआ कि 400 किलोग्राम वजन के गाय और भैंस को प्रति दिन 10-12 किलोग्राम सूखे पदार्थों की आवश्यकता है। इस पदार्थ को सूखे को हम चारे और दाने में विभाजित कर देते हैं तो शुष्क पदार्थ का लगभग एक तिहाई हिस्सा दाने के रूप में खिलाया जाना चाहिए।
खाते में आहार की मात्रा उसकी प्रविष्टि तथा जन्म का राज्य पर टिका होता है। जानवरों को कुल आहार का 2/3 हिस्से वाले स्पॉट से और 1/3 हिस्से को दाने के मिश्रण से मिला कर तैयार करना चाहिए।
गंतव्यों में डाल्हनी और गैरी दलहनी में चारे का मिश्रण हो सकता है। दलहनी चारे की मात्रा आहार में वृद्धि से काफी हद तक दाने की मात्रा को कम किया जा सकता है। भोजन में सूखा करित, हरा करिट और पशु आहार को शामिल करें ताकि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में मिल सकें।
हरे चार से बढ़ रहा है दूध की मात्रा
हरे चारे की पाचन सहनशीलता सहने से अच्छी होती है और इसे बड़े चाव से लाभ होते हैं। ग्रीन करित दूध का उत्पादन होता है। इसमें सूडान घास, बजरा, ज्वर, मकचारी, जई और बजरीम आदि शामिल हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वो हरे चारे में दलिया या दलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे जुड़े लोगों में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।

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यदि पशु आहार में हरा करिट शामिल है तो अनाज मिश्रण में 10-12 प्रतिशत पाचक प्रोटीन केवल कम होना चाहिए। वहीं यदि ग्रीन करिट नहीं है तो दाने में इसकी मात्रा कम से कम 18 प्रतिशत होनी चाहिए।
100 कि.ग्रा. शरीर पर 8-10 ग्राम भोजन का नमक प्रतिदिन दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त 2 प्रतिशत का मिश्रण आहार में मिलाते हैं।

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