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किसानों की हुई बल्ले-बल्ले, अब पराली के बदले मिलेगा गोबर खाद

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किसानों की हुई बल्ले-बल्ले, अब पराली के बदले मिलेगा गोबर खाद। आजकल बाजार में कई ऐसी योजनाएँ आ रही हैं, जिनमें कुछ देने पर कुछ पाने का मौका मिलता है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसी योजना के बारे में सुना है, जिसमें पराली के बदले गोबर खाद दी जा रही हो?

पराली के बदले गोबर खाद का अनोखा प्लान

जी हाँ, ये बिल्कुल सच है! मेरठ के गौशालाओं में ऐसा नज़ारा देखने को मिल रहा है, जहाँ किसानों से पराली लेकर उनके बदले गोबर खाद दी जा रही है। इस योजना का उद्देश्य पराली को खेतों से हटाना और गोबर खाद के जरिए खेतों की उर्वरक क्षमता बढ़ाना है। इससे न केवल पराली जलाने की समस्या खत्म हो रही है, बल्कि किसानों को भी खेतों के लिए बेहतरीन खाद मिल रही है।


पराली जलाने से होने वाले नुकसान

कई वर्षों से किसान पराली जलाते आ रहे हैं, जिससे कई समस्याएँ पैदा होती हैं। पराली जलाने से सबसे बड़ा नुकसान वायु प्रदूषण होता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके अलावा, पराली का धुआँ इतना जहरीला होता है कि यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याएँ खड़ी कर देता है।

डॉ. सुभाष मलिक के अनुसार, मेरठ जिले की गौशालाओं में अब बड़ी संख्या में किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। इससे न केवल पर्यावरण की समस्याएँ हल हो रही हैं, बल्कि किसानों को भी फायदा हो रहा है।


खेतों के लिए वरदान है गोबर खाद

गोबर खाद एक ऐसा उर्वरक है, जो जमीन के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका इस्तेमाल करने से जमीन की उर्वरकता बढ़ती है और फसल उत्पादन में सुधार होता है। गोबर खाद में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो जमीन की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। यही कारण है कि अब ज्यादा से ज्यादा किसान गोबर खाद का उपयोग कर रहे हैं।


अब किसानों को पराली के बदले मिलेगा लाभ

पराली और गोबर खाद की इस अदला-बदली योजना ने किसानों के सामने एक नया और फायदेमंद रास्ता खोल दिया है। इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित होगा, बल्कि किसानों की फसलों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

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