Eye Flu: बीते कुछ दिनों से देशभर में बारिश के कारण बिगड़ते हालातों की तस्वीरें लगातार सामने आ रही है। मानसून का यह सीजन अपने साथ सुहाना मौसम ही नहीं, बल्कि कई सारी समस्याएं भी लेकर आता है। इस मौसम में कई सारी बीमारियों और संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। आई फ्लू इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो इन दिनों तेजी से फैल रहा है। देश के कई हिस्सों से लगातार आई फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे जरूरी है कि लोगों को इस बीमारी से जुड़ी सभी जानकारी पता हो।
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इस संक्रमण और इसके प्रकारों के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने फरीदाबाद के मारेंगो एशिया हॉस्पिटल के ऑपथैल्मोलॉजी में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. निखिल सेठ से बात की। आई फ्लू के बारे में बताते हुए डॉक्टर कहते हैं कि आई फ्लू, जिसे आमतौर पर पिंक आई या कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है, कंजंक्टिवा की सूजन है। कंजंक्टिवा एक पतली पारदर्शी परत है, जो आंख की सामने की सतह और पलकों के अंदर की रेखा को कवर करती है। वहीं, बात करें इसके प्रकारों की, तो आई फ्यू के निम्न प्रकार होते हैं-
वायरल कंजंक्टिवाइटिस
कंजंक्टिवाइटिस का यह प्रकार सबसे अधिक प्रचलित है और एक वायरल संक्रमण के कारण होता है। यह अक्सर वही वायरस होते हैं, जो सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं। यह संक्रमित आंखों के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है और बहुत संक्रामक होता है। आंखें लाल होना, फ्लूइड डिस्चार्ज, खुजली और प्रकाश संवेदनशीलता इसके लक्षण हैं। यह आमतौर पर एक या दो सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाता है।
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस
यह संक्रमण आमतौर पर स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया बैक्टीरिया के कारण होता है। इससे आंखों के चारों ओर रेडनेस, सूजन, चिपचिपा या मवाद जैसा डिस्चार्ज और पपड़ी जम जाती है। यह बहुत संक्रामक भी हो सकता है। बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप या मलहम से किया जाता है।
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
परागकण, पालतू जानवरों की रूसी, धूल के कण या कुछ रसायनों सहित अन्य एलर्जी आइ फ्यू के इस प्रकार का कारण बन सकती है। परिणामस्वरूप दोनों आँखों में गंभीर जलन, रेडनेस और तरल डिस्जार्च हो सकता है। एलर्जी से बचने के अलावा, एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस का इलाज अक्सर एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप्स या ओरल दवाओं से किया जा सकता है और यह संक्रामक नहीं है।
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केमिकल कंजंक्टिवाइटिस
आई फ्लू का यह प्रकार धुएं, एसिड या अल्कलाइन जैसे पदार्थों के संपर्क में आने के बाद विकसित होता है। इसके परिणामस्वरूप आंखों में गंभीर खुजली, रेडनेस और ब्लर विजन हो सकती है। इसके इलाज का सबसे अच्छा तरीका सबसे पहले आंखों को पानी से अच्छी तरह से धोना और फिर डॉक्टर से संपर्क करना है।
आई फ्लू से बचाव
इन दिनों तेजी से फैल रहे इस संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि उचित सावधानी बरती जाए। ऐसे में डॉक्टर निखिल इससे बचाव के कुछ तरीके बता रहे हैं, जो निम्न हैं-
- हर 2 घंटे में बार-बार हाथ धोएं या सैनिटाइज करें
- आंखों को न छुएं। आप इसके लिए चश्मा या गॉगल पहन सकते हैं।
- अगर आप आई फ्लू से संक्रमित हैं, तो खुद को आइसोलेट कर लें, जब तक आंखों से पानी आना बंद न हो।
- किसी ऐसे व्यक्ति के साथ तौलिया, रूमाल या बिस्तर साझा करने से बचें, जिसे कंजंक्टिवाइटिस है।
- कॉन्टेक्ट लेंस से बचें
- आंखों में परेशानी होने पर खुद इलाज करने से बचें।
- सार्वजनिक स्थानों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों, विशेषकर सार्वजनिक स्विमिंग पूल से बचें।
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