200 लोग करने वाले थे सेलिब्रेट
Divorce Celebration – प्रदेश में अचानक चर्चाओं में आया डिवोर्स सेलिब्रेशन कार्यक्रम को अंततः ना मनाने का फैसला लिया गया, विवादों में आने के बाद आयोजक द्वारा ये फैसला लिया गया देश का ये पहला कार्यक्रम होने वाला था।संस्कृति बचाओ मंच ने भी भोपाल में होने वाले तलाकशुदा लोगों के डिवोर्स सेलिब्रेशन कार्यक्रम का विरोध किया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भाई वेलफेयर सोसायटी ने विवाह विच्छेद समारोह का आयोजन रखा था, जो 18 सितंबर को होने वाला था।
दरअसल भोपाल में तलाकशुदा पति अपने तलाक का जश्न मनाने की तैयारी में थे। 18 सितंबर को बाकायदा इसके लिए डिवोर्स पार्टी रखी गई थी। जहां पति, पत्नियों से अलग होने की खुशी को सेलिब्रेट करने वाले थे। इस पार्टी में लोगों को बुलाने के लिए बिल्कुल शादी की तरह कार्ड तक बांटे गए थे।
पार्टी ऑर्गनाइज कर रही भाई वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष जकी अहमद ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि इस पार्टी में 200 ऐसे लोग शामिल होंगे, जिनका कड़े संघर्ष के बाद तलाक हुआ है। जकी बताते हैं कि पार्टी किसी को ठेस पहुंचाने के मकसद से नहीं कर रहे हैं। संस्था का सिर्फ इतना ही उद्देश्य है कि पुरानी जिंदगी को तिलांजलि देकर नई जिंदगी की शुरुआत की जाए। संस्था ने पत्नियों से अलग होने, पुरानी जिंदगी को तिलांजलि देकर नई जिंदगी की शुरू करने वाले पतियों के सम्मान में यह कार्यक्रम रखा है।
इन चीजों का होना था विसर्जन
जकी ने बताया कि प्रोग्राम 18 सितंबर को सुबह 11 बजे रायसेन रोड के एक फार्म एंड रिसोर्ट में होगा। समारोह में जयमाला विसर्जन, सद्बुद्धि शुद्धिकरण यज्ञ, बारात वापसी, पुरुष संगीत, मानव सम्मान में कार्य करने के लिए सात कदम और सात प्रतिज्ञा ली जाएंगी। यहां मुख्य अतिथि द्वारा विवाह विच्छेद की डिक्री भी दी जाएगी। इस दौरान समारोह में पति शादी की यादगार चीजों जैसे पगड़ी, जयमाला, फेरे की फोटो इन सभी का विसर्जन करेंगे, जिससे वे पुरानी बातें भूल एक बार फिर नए जीवन की शुरुआत कर सकें।
ये लोग होने वाले थे शामिल
अध्यक्ष जकी अहमद का कहना कि हम ऐसे पतियों के लिए यह कार्यक्रम कर रहे हैं जो पत्नी के अत्याचारों से दुखी होकर हताश-निराश हैं। कई तो टूटी शादियों में लड़की पक्ष से मिली प्रताड़ना, कानूनी लड़ाई और आर्थिक मोर्चे से टूटकर खुदकुशी तक कर लेते हैं। ऐसे लोगों को संबल देने के लिए, उन्हें सम्मानित करने के लिए हमने यह आयोजन करने का फैसला किया है। लोग शादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन तलाक का उत्सव उससे ज्यादा जरूरी है। हर पुरुष अत्याचारी नहीं होता, इसी तरह हर स्त्री बेचारी नहीं होती।
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