Dhanteras: उज्जैन में मंगलवार को धनतेरस के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं ने कुबेर देव के दर्शन किए, जो सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए धन के देवता माने जाते हैं। भक्तों ने कुबेर की प्रतिमा की नाभि पर इत्र अर्पित कर अपनी मनोकामनाएं व्यक्त कीं। इस मान्यता के अनुसार, भगवान कृष्ण की गुरु दक्षिणा अर्पित करने के लिए कुबेर धन की पोटली लेकर यहां आए थे और यहीं वास कर लिया। उसी समय से यहां कुबेर देव की प्रतिमा स्थापित है।धनतेरस से दीपावली तक का यह समय विशेष होता है, और श्रद्धालु श्री सांदीपनि आश्रम के कुबेर देव की प्रतिमा के दर्शन के लिए आते हैं। कुंडेश्वर महादेव मंदिर में स्थित इस प्रतिमा की विशेषता है कि धनत्रयोदशी पर इसका आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है, और नाभि पर इत्र चढ़ाने की परंपरा है।उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व विशेषज्ञ, डॉ. रमण सोलंकी के अनुसार, कुबेर की यह प्रतिमा परमार काल की है और लगभग 1400 वर्ष पुरानी है। इस प्रतिमा में कुबेर के एक हाथ में सोम पात्र और दूसरे हाथ में वर मुद्रा है, जबकि उनके कंधों पर धन की पोटली रखी हुई है। कुबेर देव के इस रूप में उभरी हुई नाक, पेट और आभूषण उनकी विशेष पहचान हैं। गर्भगृह में कुबेर के अलावा बालाजी, वामन देव और भगवान नारायण की प्राचीन प्रतिमाएं भी विराजमान हैं।धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने शिक्षा पूर्ण की और गुरु दक्षिणा देने का समय आया, तो नारायण के सेवक कुबेर धन लेकर उनके गुरु के आश्रम आए थे। गुरु ने यह धन लेने से इनकार कर दिया और कृष्ण से अपने पुत्र को राक्षसों से मुक्त करने की इच्छा जताई। कृष्ण ने गुरुमाता की यह इच्छा पूर्ण की और उसके बाद द्वारका में जाकर द्वारकाधीश बने।
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