धान की खेती के साथ मछली पालन से किसान हो रहे हैं धनवान, एक तीर से दो निशाने जानिए कैसे करे खेती। आज हम जानेंगे कि मछली पालन के साथ धान की खेती कर किसान किस प्रकार से पैसा कमा सकते हैं और इसके फायदे क्या हैं।
धान की खेती के साथ मछली पालन
भारत के कई राज्यों में धान की खेती की जाती है, लेकिन अगर किसान धान के साथ मछली पालन भी करें, तो उन्हें दोगुना मुनाफा हो सकता है। इसके लिए किसानों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, बल्कि धान की फसल को भी इसका लाभ मिलेगा। आइए जानते हैं कि धान की खेती के साथ मछली पालन कैसे किया जा सकता है और इससे किसानों को क्या-क्या फायदे मिलते हैं।
मछली पालन के फायदे
धान की खेती के साथ मछली पालन को ‘फिश-राइस फार्मिंग’ कहा जाता है। इस पद्धति में धान के खेतों में मछलियों की भी खेती की जाती है। इसके लिए उस भूमि का चयन करना जरूरी है जहां पानी अधिक समय तक जमा रहता हो, ताकि मछलियाँ वहां जीवित रह सकें। खेत के चारों ओर पानी की सीमा बनाकर मछलियों को बाहर जाने से रोका जा सकता है।
इसके अलावा, मछलियों को पक्षियों और अन्य जानवरों से भी बचाना आवश्यक है। खास बात यह है कि मछलियाँ धान के खेत में मौजूद कुछ चारा प्राप्त कर लेती हैं, और मछलियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ धान की फसल के लिए जैविक खाद का काम करते हैं।
मछली पालन कैसे करें
हमारे देश में ताजे पानी की मछलियों की अधिक मांग है। इसमें कटला, रोहू, मृगल जैसी स्थानीय मछलियाँ प्रमुख हैं। अगर विदेशी मछलियों की बात करें, तो कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प जैसी प्रजातियों का भी पालन किया जा सकता है। मछलियों के भोजन की भी व्यवस्था करनी होती है। अनाज, जैविक खाद, सूक्ष्म पौधे और सूक्ष्म जीव उनके आहार का हिस्सा बन सकते हैं।
एक साथ दो आय के स्रोत
फिश-राइस फार्मिंग अभी भारत में बहुत लोकप्रिय नहीं है, लेकिन कई देशों में किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। मछलियाँ धान की फसल को कोई नुकसान नहीं पहुँचातीं, बल्कि वे धान की सड़ी-गली पत्तियाँ और अवांछित कीटों को खाकर खेत की मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती हैं। इससे मिट्टी की उत्पादकता में भी सुधार होता है।
इस प्रकार किसान एक साथ दो आय के स्रोत प्राप्त कर सकते हैं। वे धान बेचकर कमाई करेंगे और साथ ही मछलियों को बेचकर भी अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं। साथ ही खाद की लागत में भी कमी आएगी। लेकिन इसके लिए सही जमीन का चुनाव करना जरूरी है, जिससे मछली पालन में मदद मिलेगी।