देसी मुर्गी पालन कैसे करे कम खर्चे में और मुनाफा ज्यादा होगा।
देशी मुर्गी पालन के लिए सरकार से सब्सिडी की पूरी जानकारी
देसी मुर्गी पालन कैसे करे कम खर्चे में और मुनाफा ज्यादा होगा। खेती-किसानी में आजकल परंपरागत खेती-बाड़ी से थोड़ा अलग हटकर कृषि से संबंधित बिजनेस किए जाएं तो किसानों की आय तेजी से बढ़ती है। ये बिजनेस घर पर ही थोड़ी जगह में किए जा सकते हैं। ऐसा ही एक मोटा मुनाफा प्रदान करने वाला व्यवसाय है पोल्ट्री फार्म या मुर्गी पालन। इसमें भी देसी मुर्गियों का पालन कर व्यवसाय शुरू किया जाए तो किसानों के वारे- न्यारे हो सकते हैं। देसी मुर्गी पालन में इंवेस्टमेंट भी कम होता है। ऐसे में किसान भाई पोल्टी फॉर्म शुरू कर सकते हैं। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको देसी मुर्गीपालन से होने वाले मुनाफे और इसके अन्य लाभों की जानकारी पेश की जा रही है।
देसी मुर्गी पालन पर सरकार से सब्सिडी (Desi Murgi Palan)
बता दें कि मुर्गी पालन में देसी मुर्गियों की नस्ल सबसे अधिक मुनाफा देने वाली होती है। इसमें कम लागत आती है जो करीब 50 हजार रुपए है। वहीं इस बिजनेस को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भी सब्सिडी देती है। यह सब्सिडी लाइवस्टॉक मिशन पर दी जाती है। यह व्यवसाय अपने घर के एक अतिरिक्त खाली प्लाट में पॉल्टी फॉर्म खोला जा सकता है।
जानें, इन मुर्गियों की लोकप्रिय नस्लें
देसी मुर्गियों की प्रमुख नस्लों में ग्रामप्रिया, श्रीनिधि और वनराजा नस्लें प्रमुख हैं। इनमें ग्रामप्रिया नस्ल की मुर्गियां मीट और एग इन दोनो के लिए सबसे ज्यादा डिमांड में रहती हैं। इनका मीट तंदूरी चिकन बनाने में अधिक प्रयोग किया जाता है। ग्राम प्रिया मुर्गी एक साल में 219 से 225 अंडे देती है।
श्रीनिधि
मुर्गी की यह नस्ल जायकेदार मीट और अंडे इन दोनो के लिए अच्छी मानी जाती है। इस नस्ल की मुर्गियां जल्दी विकास करती है और कम वक्त में बढिय़ा मुनाफा देती हैं।
वनराजा
मुर्गियों की यह नस्ल 120 से 140 अंडे देती हैं। इनका पालन थोड़ा महंगा होता है। यह नस्ल भी काफी प्रसिद्ध है। इसके अंडे और मीट खासे मुनाफा देते हैं।
यह है देसी मुर्गियों के फायदे (Desi Poultry Farming)
आपको बता दें कि देसी मुर्गियों के पालन के कई फायदे हैं। पहली बात तो यह है इनके पालन में अधिक खर्च नहीं करना पड़ता। 10 से 15 मुर्गियों से इनका व्यवसाय शुरू किया जा सकता है। ये मुर्गियां लागत से करीब दोगुना तक मुनाफा देती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब ये मुर्गियां पूरी तरह से विकास कर लेती हैं तो इन्हें बाजार में बेचकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। अगर आप इन्हें बाजार में बेचेंगे तो यह आपको लागत से दो गुना अधिक तक मुनाफा दे सकती हैं। आप जितने बड़े स्तर पर देसी मुर्गी पालन का बिजनेस शुरू करेंगे कमाई में भी उतना ही अधिक इजाफा होगा।
मुर्गी पालन में रखें बीमारियों से बचाव का ध्यान
मुर्गी पालन में बीमारियों से बचाव का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए मुर्गियों की उचित देखभाल, संतुलित आहार, साफ और हवादार घर और अच्छी नस्ल आदि बहुत जरूरी है। मुर्गी फार्म शुरू करते समय ही रोग निरोधक उपाय करना चाहिए। यदि कोई मुर्गी बीमार होती है तो उसे झुंड से अलग कर देना चाहिए। इसके अलावा पशु चिकित्सक से भी आवश्यक सलाह लें। जिस घर में बीमार मुर्गी रही हो उसे चूने से पोत देना चाहिए। इसके अलावा डीडीटी पाउडर का छिडक़ाव करना चाहिए। मुर्गियों में रानीखेत, टूनकी, चेचक, खूनी दस्त, कोराईजा या सर्दी आदि रोग होते हैं। मुर्गियों में बीमारी के दौरान इन आसपास मुंह पर मास्क लगा कर ही जाएं। हाथों को साबुन से बार-बार धोएं।