
वैसे तो विधानसभा चुनाव को अभी लगभग 17 माह बाकी है लेकिन विभिन्न पार्टियों में विभिन्न विधान सभाओं से टिकट के नए दावेदार अब अपने-अपने क्षेत्र में शादी समारोह में दिखाई दे रहे हैं। वैसे तो जिले की 5 में से 4 विधानसभा सीओं पर कांग्रेस के विधायक है लेकिन कुछ नए दावेदारों की सक्रियता बता रही है कि कुछ तो खिचड़ी पक रही है।
जिला मुख्यालय बैतूल विधानसभा सीट से कांग्रेस के निलय डागा विधायक हैं जो 2018 का अपना पहला चुनाव 22000 से ज्यादा वोटों के बड़े अंतर से जीते थे। चुनाव जीतने के बाद निरंतर सक्रिय रहना और आर्थिक रूप से अति संपन्न होने के कारण इस विधानसभा सीट से कांग्रेस रहा है। 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस टिकट पर हारे हेमंत वागद्रे दौड़ धूप करते दिख रहे हैं, लेकिन लोकप्रियता, सक्रियता और संपन्नता में उनका ग्राफ निलय डागा से काफी नीचे दिख रहा है।

घोड़ाडोंगरी आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट है और लंबे समय बाद कांग्रेस के ब्रम्हा भलावी ने चुनाव जीतकर यह सीट भाजपा से छीनी थी। कांग्रेस द्वारा हाल ही में उदयपुर चिंतन शिविर में अगले चुनाव के लिए उम्मीदवारों की आयु का जो पैमाना तय किया है उसमें ब्रम्हा भलावी फिट नहीं बैठ रहे हैं। वहीं बैतूल में निजी काकोड़िया हास्पिटल संचालित कर रहे डॉ. रमेश काकोड़िया का कांग्रेस ज्वाइन कर घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में अचानक सक्रिय होना यह स्पष्ट कररहा है कि उनको घोड़ाडोंगरी से कांग्रेस टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ना है। इसलिए कांग्रेस ज्वाइन करते ही वे घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में हो रही कोई भी शादी में जाना नहीं भूल रहे हैं। राजनैतिक समीक्षकों का यह मानना है कि घोड़ाडोंगरी सीट से कांग्रेस नए उम्मीदवार पर दावं लगा सकती है।

इसी तरह की स्थिति भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र में दिखाई दे रही है। भैंसदेही से वर्तमान में धरमूसिंह कांग्रेस विधायक है। 2008 में पहली बार विधायक बने धरमूसिंह 2013 में चुनाव हार गए लेकिन 2018 में फिर से चुनाव जीत गए। लो प्रोफाइल में रहकर राजनीति करने वाले धरमूसिंह पर भी आयु का बंधन उन्हें चौथी बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने से रोक सकता है।
2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़कर लगीाग पौने चार लाख वोटों के रिकार्ड मतों से हारने वाले रामू टेकाम ने चुनाव लड़ने के बाद क्षेत्र में सक्रियता बनाई रखी है। लेकिन धीरे-धीरे अपनी राजनैतिक सक्रियता अब भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र तक सीमित कर दी है। इसलिए राजनीति करने वाले यह मान रहे हैं कि 2023 में भैंसदेही सीट से कांग्रेस रामू टेकाम को चुनाव मैदान में उतार सकती है।
कांग्रेस में बढ़ा लोकसभा का दावेदार ?

समाजसेवा के क्षेत्र में नि:स्वार्थ भाव से काम कर अपनी अलग पहचान बनाने वाले लोक गायक राजेश सरियाम का कांग्रेस में आना तय था। पिछले कुछ दिनों में जिले के कांग्रेस के कई नेताओं के साथ बैठक करने के बाद छिंदवाड़ा जाकर कमलनाथ से मिलकर कांग्रेस में शामिल होने वाले राजेश सरियाम अभी भाजपा में थे। आम आदमी पार्टी से राजनैतिक जीवन शुरू करने वाले राजेश सरियाम क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर बैतूल-हरदा-हरसूद क्षेत्र में चुनाव लड़ सकते हैं यह कहना शायद अभी जल्दी होगा पर राजनीति में सब संभव है? और जब किसी की किस्मत खुलती है तो कहते हैं कि छप्पर फाड़कर खुलती है।
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