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सीएम मोहन यादव का नया प्लान: अब ऐसे होंगी मध्य प्रदेश में सरकारी नियुक्तियां

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भोपाल: मध्य प्रदेश शासन के विभिन्न विभागों में होने वाली कर्मचारियों की नियुक्ति का पैटर्न बदलने जा रहा है. अब सरकारी विभागों में होने वाली नियुक्तियां यूपीएससी की तर्ज पर की जाएंगी. यानि कि विभिन्न सरकारी विभागों के लिए अभ्यर्थियों को बार-बार परीक्षा देने की जरुरत नहीं होगी, बल्कि इस परीक्षा के माध्यम से सभी विभागों के विभिन्न रिक्त पदों के लिए एक ही मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी. सामान्य प्रशासन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एक वर्ष में एक ही भर्ती परीक्षा कराए जाने के संबंध में प्रारंभिक दौर की चर्चा कर चुके हैं. इस संबंध अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है.

उम्मीदवारों को केवल एक बार देनी होगी फीस

एकल भर्ती परीक्षा से अभ्यर्थियों को बार-बार परीक्षा की झंझट से मुक्ति तो मिलेगी ही, साथ ही अलग-अलग विभागों की परीक्षा के लिए बार-बार आवेदन करने और फीस भरने की जरूरत नहीं रहेगी. उम्मीदवारों को परीक्षा की तैयारी करने और स्लॉट चुनने में दिक्कत नहीं होगी. इससे सरकार को बार-बार परीक्षा आयोजित कराने के लिए समय और पैसा बर्बाद नहीं करना पड़ेगा. यदि कोई उम्मीदवार चयनित पद नहीं लेता है, तो वेटिंग लिस्ट के कारण अगला उम्मीदवार तुरंत नियुक्त हो सकेगा. इससे रिक्तियों को बिल्कुल भी नहीं छोड़ना पड़ेगा.

मुख्यमंत्री ने बार-बार परीक्षा पर जताई चिंता

मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के डायरेक्टर साकेत मालवीय ने बताया कि "विभिन्न सरकारी विभागों के लिए बार-बार परीक्षाएं आयोजित करने से सबसे अधिक परेशानी अभ्यर्थियों को होती थी. ऐसे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भर्ती परीक्षाओं की व्यवस्था को परिवर्तित करने के निर्देश दिए थे. मालवीय ने बताया कि मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के लिए एसएससी और यूपीएससी की परीक्षाओं का पैटर्न आदर्श है.

जिससे यूपीएससी की तरह मध्य प्रदेश के विभिन्न विभागों में भी एकल परीक्षा का आयोजन किया जा सके. जिस तरह संघ लोक सेवा आयोग एक परीक्षा कराता है और विभिन्न श्रेणी के उपलब्ध पदों के लिए मेरिट के हिसाब से चयन होता है. अब यही प्रक्रिया मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में नियुक्ति के लिए अपनाई जाएगी.

सभी विभागों में एक जैसे होंगे भर्ती नियम

अधिकारियों ने बताया कि एकल परीक्षा प्रणाली में सभी सरकारी विभागों के भर्ती नियम भी अब एक जैसे होंगे. सामान्य प्रशासन विभाग ही इन्हें बनाकर अधिसूचित करने के लिए देगा. यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है, ताकि प्रदेश के सभी सरकारी विभागों की नियुक्तियों में एकरूपता रहे. इसमें समान प्रकृति के पदों के लिए एक जैसे नियम हो जाएंगे. साथ ही यह लाभ भी होगा कि परीक्षा कराने वाली एजेंसियों को विज्ञापन निकालते समय विभागीय भर्ती नियम के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा और समय पर विज्ञापन जारी हो जाएंगे.

कोर्ट जाने के लिए बाध्य नहीं होंगे अभ्यर्थी

अभी मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की परीक्षाओं में नकल और अनियमितताओं की घटनाएं सामने आती रहती है. लेकिन नई व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए नियम से लेकर परीक्षा का पूरा ब्योरा ऑनलाइन रहेगा. अभी राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से होने वाली परीक्षा में कई चीज सार्वजनिक नहीं की जाती हैं, जिससे अभ्यर्थी कोर्ट चले जाते हैं. परीक्षा परिणाम या चयन सूची पर रोक लगा जाती है. इससे पूरी प्रक्रिया रुक जाती है. आगे ऐसा न हो, इसके लिए सभी जानकारियां ऑनलाइन की जाएंगी, ताकि किसी को सूचना के अभाव में कोई भ्रम या संदेह ना रहे और अभ्यर्थी कोर्ट जाने के लिए बाध्य न हो.

नए पैटर्न में इस प्रकार होंगी परीक्षाएं

  1. मध्य प्रदेश शासन के सभी विभागों के लिए साल में एक बार एकल परीक्षा का आयोजन किया जाएगा.
  2. इसमें सभी श्रेणी के पदों के लिए मेरिट के हिसाब से सूची बन जाएगी, लेकिन वेटिंग लिस्ट एक रहेगी.
  3. एकल परीक्षा के लिए सभी विभागों से रिक्त पदों की संख्या साल में एक बार पूछी जाएगी.
  4. सभी विभागों से मिले प्रस्तावों के आधार पर सितंबर महीने में परीक्षा का कैलेंडर तैयार किया जाएगा.
  5. सामान्य प्रशासन विभाग जनवरी 2026 से कर्मचारियों के चयन की यह प्रक्रिया लागू करने की तैयारी में है.

इन विभागों में बड़ी संख्या में होगी भर्ती

बता दें कि मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने साल 2024 के जून महीने में आयोजित कैबिनेट बैठक स्वास्थ्य विभाग के 46,491 नए पदों का भर्ती करने का निर्णय लिया था. इसी प्रकार 22 अक्टूबर, 2024 को हुई कैबिनेट की बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग में सहायिका के 12,670 पद और सुपरवाइजर के 467 पदों पर भर्ती को मंजूरी दी गई थी.

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