Census: अगले साल होने वाली जनगणना में केंद्र सरकार ने कुछ नई जानकारियों को भी शामिल करने का फैसला किया है, जिसमें मध्यप्रदेश समेत पूरे देश के नागरिकों के खान-पान और मोबाइल उपयोग का विवरण शामिल होगा। जनगणना के दौरान यह जानकारी ली जाएगी कि लोग किस प्रकार का अनाज अपने भोजन में उपयोग करते हैं, खासतौर पर मिलेट्स (मोटे अनाज) के उपयोग पर ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि केंद्र सरकार इनका उत्पादन और उपयोग बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए जनगणना के फॉर्मेट में एक कॉलम शामिल किया गया है, जिसमें हर परिवार के खान-पान की आदतों को दर्ज किया जाएगा।इसके साथ ही सरकार ग्रामीण इलाकों में मोबाइल फोन के उपयोग का सर्वे भी करेगी, ताकि यह पता चल सके कि कितने प्रतिशत लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार का अनुमान है कि मोबाइल क्रांति के बावजूद भी देश में 100 प्रतिशत लोग मोबाइल का उपयोग नहीं करते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इस जानकारी का उपयोग भविष्य में विकास योजनाओं और नीतियों को तय करने में किया जाएगा।
बदलाव और तैयारियां:
कॉलम की संख्या घटाई गई: 2011 की जनगणना में 35 कॉलम थे, जबकि इस बार इन्हें घटाकर 34 कर दिया गया है। महिला और पुरुष की जानकारी को एक साथ सब-कॉलम के रूप में दर्ज किया जाएगा, और थर्ड जेंडर की जानकारी अलग से एक कॉलम में शामिल की जाएगी। प्रगणकों की जिम्मेदारी: जनगणना के लिए प्रत्येक प्रगणक को 150 घरों का सर्वे करने का काम सौंपा जाएगा। इन घरों की मैपिंग सुनिश्चित की जाएगी, ताकि किसी भी घर का दोबारा सर्वे न हो। प्रगणक सर्वे के बाद रिपोर्ट जनगणना निदेशालय को सौंपेंगे।1.52 लाख कर्मचारियों की तैनाती: मध्यप्रदेश के 55 जिलों में 1.52 लाख कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी, जो घर-घर जाकर जनगणना की जानकारी इकट्ठा करेंगे। इस बार जनगणना ऑनलाइन फॉर्मेट में होगी, जिससे उम्मीद है कि काम तेजी से पूरा हो जाएगा।इस तरह, 2025 में होने वाली जनगणना के जरिए सरकार न केवल लोगों के भोजन और मोबाइल उपयोग की जानकारी जुटाएगी, बल्कि इससे विकास कार्यों की योजना और नीति-निर्धारण में भी मदद मिलेगी।
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