Betul Politics – सांसद-विधायक बनने का रिकार्ड हेमंत के नाम

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70 साल के इतिहास में ऐसे एकमात्र विजेता

Betul Politicsबैतूल जिले की चुनावी राजनीति के इतिहास में अलग-अलग विधानसभाओं में और अलग-अलग क्षेत्रों में कई रिकार्ड बने हैं। जो अभी तक बरकरार है। ऐसे ही रिकार्ड और भी बन रहे हैं। लेकिन बैतूल जिले में एकमात्र विजेता जो सांसद के साथ-साथ दो बार विधायक भी निर्वाचित हुए हैं वो रिकार्ड सिर्फ एक बार ही बना है। सांसद के रूप में जिले में विजय कुमार खण्डेलवाल चार बार निर्वाचित हुए हैं। वहीं नरेंद्र कुमार साल्वे,असलम शेर खान एवं श्रीमती ज्योति धुर्वे को दो-दो बार सांसद बनने का अवसर मिला है। इसके अलावा भीकूलाल चांडक, गुफराने आजम, आरिफ बैग, सुभाष आहूजा भी एक-एक बार सांसद निर्वाचित हुए हैं।

हेमंत खण्डेलवाल हुए सांसद निर्वाचित | Betul Politics

विजय कुमार खण्डेलवाल के 2007 में सांसद रहते हुए असामयिक निधन के बाद बैतूल जिले के संसदीय इतिहास में पहली बार उपचुनाव में हुआ जिसमें भाजपा की ओर से श्री खण्डेलवाल के पुत्र हेमंत खण्डेलवाल को अपने जीवन का पहला चुनाव लडऩे का अवसर मिला। इस चुनाव में उनके सामने कांग्रेस की ओर से सुखदेव पांसे चुनाव मैदान में थे। हेमंत खण्डेलवाल 31 हजार 389 मतों से सांसद निर्वाचित हुए थे।

2013 में बने विधायक

हेमंत खण्डेलवाल को भाजपा ने 2013 में बैतूल विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया। और उन्होंने कांग्रेस के हेमंत वागद्रे को 24347 वोटों के बड़े अंतर से पराजित कर दिया। और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। इस तरह से हेमंत खण्डेलवाल विधायक निर्वाचित होते ही बैतूल जिले के एकमात्र ऐसे नेता हो गए जो सांसद के साथ-साथ विधायक बने।

2023 में पुन: जीता चुनाव | Betul Politics

हाल ही संपन्न विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर हेमंत खण्डेलवाल बैतूल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और उन्होंने कड़े संघर्ष के बीच कांग्रेस के सीटिंग एमएलए निलय डागा को 15533 वोटों के अंतर से पराजित किया। इस प्रकार श्री खण्डेलवाल सांसद के साथ-साथ दो बार विधायक निर्वाचित हुए। देखा जाए तो यह रिकार्ड भी हेमंत खण्डेलवाल के नाम दर्ज हो गया है। जिसमें कोई सांसद दो बार विधायक भी बना है। क्योंकि श्री खण्डेलवाल के अलावा और किसी दूसरे सांसद ने 70 साल में विधायक का चुनाव नहीं लड़ा। वहीं इसी दौरान और कोई दूसरा विधायक भी सांसद निर्वाचित नहीं हुआ। यह बात अलग है कि 2007-2008 के उपचुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव पांसे मुलताई से विधायक भी थे लेकिन वे लोकसभा का यह उपचुनाव हार गए थे।