Betul News – कोई नहीं है शहर का माई-बाप जहां जगह मिल रही वहीं पैर पसार रहा अतिक्रमण

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सडक़ों को भी नहीं छोड़ रहे अतिक्रमणकारी

Betul Newsबैतूल एक तरफ शहर को सुंदर बनाने की कवायद चल रही है तो इस कवायद पर अतिक्रमणकारी पानी फेर रहे हैं। शहर में अच्छी सडक़ें बनने से यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो, इसके लिए जनप्रतिनिधिगण प्रयास कर रहे हैं। लेकिन देखने में आता है कि सडक़ों पर अतिक्रमण होने से शहर की यातायात व्यवस्था ठप्प हो रही है।

जिस तरह से अतिक्रमण हो रहा है उससे लग रहा है कि इस शहर का कोई माई बाप नहीं है। शहर के व्यवसायिक क्षेत्र गंज में हालात बदत्तर होते जा रहे हैं। मुख्य मार्ग के साथ ही छोटे मार्गों पर अतिक्रमण होने से चार पहिया तो दूर दो पहिया निकालना भी मुश्किल हो रहा है।

नजाराएक

पुरानी अनाज मंडी में स्थित कृष्ण मंदिर जाने वाले रास्ते की स्थिति यह है कि लोगों ने रास्ते पर ही अतिक्रमण कर गुमठियां और ठेले लगा लिए है। हालत यह है कि यहां से दो पहिया वाहन भी नहीं निकल पा रहे है।

नजारादो

गंज के तांगा स्टैंड के पास का चौक जिसे सुंदर बनाने के लिए सडक़ के बीचों-बीच डिवाईडर बनाए गए हैं। इस चौक पर भी सडक़ के ऊपर अतिक्रमण कर दुकान का सामान रखा जा रहा है। इस चौक से चार पहिया वाहनों को निकलने में मुश्किल हो रही है और दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है।

नजारातीन

राधाकृष्ण धर्मशाला गंज शहर की प्रमुख धर्मशाला है। यहां पर अनेको आयोजन होते हैं। इस धर्मशाला के सामने सडक़ पर अतिक्रमण कर गुमठी लगाने के कारण आए दिन जाम लगने की स्थिति निर्मित हो जाती है। कई बार तो यहां हादसे भी होते हैं।

नजाराचार

गंज और कोठीबाजार के बीच स्थित शिवाजी चौक से मुल्लाजी पेट्रोल पंप के बीच बनी सडक़ के बीचों बीच डिवाईडर बनाए गए हैं। इस सडक़ आजू-बाजू पैदल चलने के लिए फुटपाथ बनाया गया है। इस फुटपाथ पर भी लोगों ने अतिक्रमण कर अवैध कब्जा कर लिया है।

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रेलवे स्टेशन के सामने सडक़ के दोनों तरफ गुमठियां रखकर अतिक्रमण किया गया है। रेलवे स्टेशन पर आने-जाने वालों को सडक़ संकरी होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं जाता है। यहां पर भी जाम लगने पर विवाद की स्थिति निर्मित होती है।

जिम्मेदार आंखें बंदकर बैठे हैं | Betul News

शहर की जनता को सुविधा दिलाने के लिए जनप्रतिनिधिगण और अधिकारियों का नैतिक दायित्व है लेकिन लगता ऐसा है कि शहर को अतिक्रमण मुक्त करने वाले जिम्मेदार आंखे बंद करके बैठे हैं।

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