Betul Assembly – सरकार मेंं बैतूल को फिर नहीं मिला मंत्री पद

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दो-दो बार पांचों सीटें जीतने के बाद भी जिले हो रही घोर उपेक्षा

Betul Assemblyबैतूल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन से 2023 तक लगभग 21 वर्ष भाजपा विभिन्न अवसरों पर मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ रही है। लेकिन इन 21 वर्षों में भाजपा ने बैतूल जिले की हमेशा उपेक्षा की है और आज भी डॉ. मोहन यादव के मंत्री मंडल में बैतूल को अवसर नहीं मिला है।

इसको लेकर जिले भर के भाजपा कार्यकर्ताओं और आम जनों में निराशा व्याप्त हो गई है। क्योंकि सरकार में आने के बाद विकास कार्यों में भी तेजी आती है। राजनैतिक समीक्षकों का ऐसा मानना है कि क्या हमेशा की तरह आगे भी बैतूल कब तक ऐसे अभिशप्त रहेगा कि योग्य विधायकों के निर्वाचन के बावजूद क्षेत्र, जाति और अन्य समीकरणों के चलते उपेक्षा होती रहे।

1990 से 2023 तक कई बार सरकारें बनी | Betul Assembly

1980 में भाजपा के गठन के बाद लगातार 10 वर्षों तक कांग्रेस ने राज किया है, लेकिन 1990 में पहली बार भाजपा को सरकार बनाने का अवसर मिला लेकिन तीन वर्षों में ही कांग्रेस की केंद्र सरकार ने विधानसभा भंग करवा दी थी। लेकिन इसके बाद 10 वर्षों तक भाजपा का राजनैतिक वनवास हो गया और 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में फिर एक बार भाजपा की सरकार बनी।

इसके बाद लगातार 2008 और 2013 में भी भाजपा ने विजयश्री प्राप्त करी। 2018 में चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस विधायकों के विद्रोह से मार्च 2020 में फिर भाजपा सरकार बनी और 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में छटवीं बार भाजपा की सरकार काबिज हुई है। इस तरह से लगभग 21 वर्ष भाजपा ने राज किया है।

21 वर्षों में भाजपा के 26 रहे विधायक

इन 21 वर्षों में जिले की विधानसभा सीटों में 26 भाजपा विधायक निर्वाचित हुए हैं। जिनमें कई उम्मीदवार तो कई बार चुनाव जीते हैं। वर्तमान में 2023 के चुनाव में जो पांच भाजपा विधायक निर्वाचित हुए हैं उनमें भैंसदेही के महेंद्र सिंह चौहान तो चौथी बार और मुलताई के चंद्रशेखर देशमुख तीसरी बार तथा बैतूल के हेमंत खण्डेलवाल सांसद के साथ दो बार विधायक भी निर्वाचित हुए हैं।

इसके बावजूद इस बार भी किसी विधायक को आज हुए मंत्री मंडल के विस्तार में स्थान नहीं मिला है। जबकि मुलताई से जीते चंद्रशेखर देशमुख ने तो कांग्रेस के दो केबीनेट मंत्रियों को अलग-अलग समय में धूल चटाई थी। वहीं महेंद्र सिंह आदिवासी होने के साथ-साथ भाजपा के एकमात्र ऐसे विधायक हो गए हैं जो चौथी बार चुनाव जीते हैं। इतनी वरिष्ठता होने के बावजूद मंत्री मंडल में स्थान ना मिलने पर भाजपा कार्यकर्ताओं में भी निराशा व्याप्त हो गई।

इन कारणों से नहीं मिल रहा मंत्री पद | Betul Assembly

बैतूल नर्मदापुरम संभाग में आता है जिसमें होशंगाबाद और हरदा दो जिले शामिल हैं। चूंकि हरदा से जीतते रहे कमल पटेल मंत्री बनते रहे हैं। वहीं नर्मदापुरम संभाग में दूसरे जिले होशंगाबाद से सीताशरण शर्मा जैसे दिग्गज नेता लगातार विधायक बनते रहे और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया।

ऐसी स्थिति में बैतूल जिले को मंत्री मंडल में स्थान नहीं मिला। इसी तरह से अगर लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो बैतूल के साथ हरदा और खण्डवा जिले का हरसूद विधानसभा क्षेत्र शामिल है। हरसूद से लगातार छटवीं बार चुनाव जीत रहे दिग्गज आदिवासी नेता विजय शाह निरंतर मंत्री मंडल में स्थान पा रहे हैं वहीं हरदा जिला भी मंत्री पद प्राप्त कर रहा है इसलिए संसदीय सीट के आंकलन के अनुसार भी बैतूल मंत्री से अछूता है। और यह स्थिति कब बनी रहती है कुछ कहा नहीं जा सकता है।