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बाजरे का की टॉप 10 किस्म जो किसानो को देती बम्फर पैदावार पड़े पूरी जानकारी सभी किस्मो के बारे में।

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बाजरे का की टॉप 10 किस्म जो किसानो को देती बम्फर पैदावार पड़े पूरी जानकारी सभी किस्मो के बारे में।

खरीफ की प्रमुख फसल बाजरे की बुवाई (Sowing of Millet) जुलाई महीने से शुरू हो जाती है। बहुत सारे किसान बाजरे की बुआई के लिए तैयार होंगे। प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के प्रचुर स्रोत होने की वजह से बाजरा को पोषक अनाज के तौर पर जाना जाता है। इसके अलावा पशुओं के लिए भी प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा वाले चारे का इंतजाम भी बाजरे से हो जाता है। इस फसल की सबसे खास बात यह है कि कम पानी वाले इलाकों में भी बाजरा का उत्पादन किया जा सकता है।

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यही वजह है कि राजस्थान, हरियाणा आदि क्षेत्रों में बाजरे की खेती (Cultivation of Millet) बड़े पैमाने पर होती है। बाजरा की मांग सालभर बाजार में बनी रहती है। किसान इस फसल की खेती (Crop Farming) बड़े पैमाने पर करते हैं। इससे पशुओं का चारा और दाना दोनों का इंतजाम हो जाता है। यही वजह है कि पशुपालक किसानों के लिए बाजरे की खेती ज्यादा लाभ का सौदा साबित होती है। बाजरे की खेती करने वाले किसानों के लिए खेती से पहले सबसे जरूरी चीज सही किस्म का चुनाव करना होता है। 

बाजरा की टॉप 10 किस्म

1. एचएचबी 67-2

बाजरे की इस सबसे उन्नत किस्म की खोज 2005 में हुई थी। बाजरा की यह किस्म सबसे जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है। साथ ही यह बाजरा की सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली किस्म भी है। इस किस्म की खासियत इस प्रकार है।

  • यह किस्म 62 से 65 दिनों में पकती है।
  • बाजरा के इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 160 से 180 सेंटीमीटर होती है।
  • यह किस्म जोगिया रोग और सूखे के प्रति सहनशील है। 
  • एचएचबी 67 की तुलना में इस किस्म से दाना और पशुओं के चारे दोनों का उत्पादन 22% ज्यादा होता है।
  • बाजरे की इस उन्नत किस्म से 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है।

2. सी. जेड. पी 9802 

बाजरे की इस किस्म को कई किसान बेहद पसंद करते हैं क्योंकि यह बाजरा खाने में काफी स्वादिष्ट होता है। 2002 में इस किस्म की खोज हुई। जिसकी खासियत इस प्रकार है।

  • इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 185 से 200 सेंटीमीटर होती है।
  • इसमें बिना बाल वाले और कसे हुए फल पाए जाते हैं।
  • इस किस्म को पकने से 70 से 75 दिन का समय लगता है।
  • जोगिया रोग प्रतिरोधक होने के साथ-साथ इस किस्म की पैदावार 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

3. आरएचबी 121

बाजरे की इस किस्म को राजस्थान के किसान बहुत पसंद करते हैं। यह किस्म कई प्रकार के रोगों की प्रतिराेधी और किसानों को अच्छी उपज देने वाली है। इसकी खोज वर्ष 2001 में हो गई थी। इस किस्म की खासियत इस प्रकार है।

  • इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 165 से 175 सेंटीमीटर होती है।
  • इस किस्म का बाजरा 75 से 78 दिनों में पक जाता है।
  • इस किस्म में औसत दानों की उपज 22 से 25 क्विंटल वहीं चारे की उपज 26 से 29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

4. पूसा 605

1999 में बाजरे की इस किस्म की खोज पूरी हो गई थी। 75 से 80 दिनों में पकने वाली इस किस्म को बेहद कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए अच्छा माना गया है। इसके अलावा इस किस्म की खासियत इस प्रकार है।

  • इस किस्म से दाने की औसतन पैदावार 9 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। साथ ही सूखे चारे की पैदावार 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 
  • इस किस्म के पौधे 125 से 150 सेंटीमीटर ऊंचे होते हैं।

5. राज 171

मध्यम और सामान्य वर्षा वाले क्षेत्रों में बाजरा की इस किस्म को उगाया जाता है। इस किस्म से बाजरे की अच्छी पैदावार ली जा सकती है। मध्यप्रदेश में इस किस्म की व्यापक स्तर पर खेती की जाती है। इस किस्म की खोज वर्ष 1992 में हुई जिसकी खासियत इस प्रकार है।

  • इस किस्म से पैदा होने वाले बाजरे के सिट्टे लंबे, बेलनाकार और कसे हुए होते हैं।
  • 85 दिनों में यह किस्म पक जाती है।
  • सिट्टो की लंबाई औसतन 25 से 26 सेंटीमीटर होती है।
  • पौधों की ऊंचाई की बात करें तो 170 से 200 सेंटीमीटर इसकी ऊंचाई होती है। यही वजह है कि इस किस्म से सूखे चारे की पैदावार काफी अच्छी हो जाती है।
  • पैदावार की बात करें तो अनाज 20 से 25 क्विंटल और चारे की पैदावार 45 से 48 क्विंटल तक हो जाती है।

6. आई. सी. एम. एच 356

160 से 170 सेंटीमीटर ऊंचाई वाली इस किस्म से भी अच्छी खासी मात्रा में चारे की पैदावार कर सकते हैं। पशुपालक किसान इस जल्दी पकने वाली किस्म की खेती कर सकते हैं। इसकी खासियत इस प्रकार है।

  • यह किस्म 75 दिन में पकती है।
  • बाजरे की इस किस्म से 18 से 20 क्विंटल अनाज की पैदावार की जा सकती है।
  • चारे की पैदावार 38 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

7. एम एच 169 (पूसा 23)

1987 में इस किस्म की खोज हुई। 165 सेंटीमीटर ऊंचाई वाली इस किस्म की मदद से पशुपालक किसान पशुओं के लिए चारा और अनाज की अच्छी पैदावार लेने में सक्षम होते हैं। इसकी खासियत इस प्रकार है।

  • इस किस्म से दानों की औसतन पैदावार 20 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टर है।
  • यह किस्म मध्यम सूखा सहने में सक्षम है।
  • 80 से 85 दिनों की अवधि में बाजरे की यह किस्म पक जाती है।

8. जीएचबी 538 

अधिक उपज देने वाली बाजरे की यह किस्म किसानों को काफी मुनाफा देने वाली किस्म है। इस किस्म से बाजरा की पैदावार ज्यादा तो होती ही है। साथ ही इसके और भी खासियत हैं जो इस प्रकार हैं।

  • यह किस्म 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दानों की पैदावार करती है। अधिक पैदावार की वजह से ही यह बहुत सारे किसानों की मनपसंद किस्म है।
  • इस किस्म से 42 क्विंटल के लगभग चारा की पैदावार होती है।
  • यह किस्म 70 से 75 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।
  • छेदक एवं तना मक्खी के प्रति भी यह किस्म सहनशील है।

9. जीएचबी 719 

कम समय में पकने वाली बाजरे की यह किस्म किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह किस्म 70 से 75 दिनों में पक जाती है। इसकी बालियां 43 से 45 दिनों में निकल आती है। इसकी और भी खासियत हैं जो इस प्रकार है।

  • इस किस्म से दानों की औसत उपज 20 से 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
  • वहीं चारा की बात करें तो इस किस्म की औसत चारा उपज 40 से 50 क्विंटल है।
  • यह किस्म जोगिया रोग के लिए प्रतिरोधी है। साथ ही कीड़ों के लिए भी बेहद सहनशील है।
  • यह किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए अच्छी है। यह सूखा को सहन करने में सक्षम है।

10. एचएचबी 90

यह एक हाइब्रिड किस्म है, जो लंबी ऊंचाईयों के होते हैं और किसानों को काफी कम फसल नुकसान का सामना करना पड़ता है। रोएं और सिट्टा कसे हुए होने की वजह से चिड़ियों और अन्य पक्षियों से ज्यादा हानि नहीं होते। इसके अलावा इस किस्म की और भी खासियत है, जो इस प्रकार है।

  • इस किस्म में बाजरे की ऊंचाई 170 से 180 सेंटीमीटर होती है।
  • यह किस्म दानों की पैदावार 20 से 22 क्विंटल कर सकती है।
  • अधिक ऊंचाई के मोटे और बड़े पौधों की वजह से इस किस्म से चारों की अच्छी पैदावार हो जाते हैं। प्रति हेक्टेयर 50 से 60 क्विंटल सूखे चारे की पैदावार ली जा सकती है।
  • जोगिया रोग और सूखा के प्रति यह किस्म सहनशील है। कम पानी वाले क्षेत्रों में भी इसकी अच्छी पैदावार ली जा सकती है।

आशा है कि बाजरे की टॉप 10 किस्में आपको पसंद आई होगी। सभी किस्म की अपनी खासियत है। किसान भाई जितना हो सके लेटेस्ट और अच्छी पैदावार देने वाली किस्मों का ही चयन करें। किस्मों का चुनाव करते हुए किस्मों की रोगों के प्रति सहनशीलता, पानी की जरूरत आदि फैक्टर्स का भी जरूर ध्यान रखें। इसी तरह की बेहतरीन जानकारी के लिए जुड़े रहें।

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