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Fertility: सरसों की खली का प्रयोग: पौधों की सुरक्षा और मिट्टी की उर्वरता के लिए एक उत्कृष्ट उपाय

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Fertility: कोडरमा: बरसात के बाद कीटों का हमला किसानों के लिए एक आम समस्या बन जाता है। इस चुनौती का सामना करने के लिए कई किसान रासायनिक कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि सरसों की खली जैसे जैविक उपाय न केवल पौधों को कीड़ों से बचाते हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ाते हैं।

सरसों की खली का महत्व

डॉ. ए.के. राय, वरीय कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, कोडरमा के अनुसार, सरसों की खली एक बेहतरीन जैविक खाद है। इसका उपयोग पौधों की सुरक्षा और उनकी पोषक गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक होता है। सरसों की पिसाई के बाद बची खली को प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जो पौधों को बिना किसी हानिकारक प्रभाव के सुरक्षित रखता है।

कैसे करें उपयोग?

  1. कीटनाशक के रूप में: बड़े गमलों में 100 ग्राम और छोटे गमलों में 50 ग्राम सरसों की खली का उपयोग किया जा सकता है। इसके बाद हल्का पानी डालने से सभी पोषक तत्व पौधों की जड़ों तक पहुँच जाते हैं।
  2. खाद के रूप में: सरसों की खली को 20-25 ग्राम की मात्रा में मिट्टी में मिलाकर गमलों में बिछाया जा सकता है। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और पौधे स्वस्थ रहते हैं।
  3. लिक्विड फॉर्म में: 100 ग्राम सरसों की खली को 1 लीटर पानी में 2-3 दिन भिगोकर रखें, फिर इसे 5 लीटर पानी में मिलाकर पौधों की जड़ों में डालें। यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।

फायदें:

  • नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की मौजूदगी पौधों की वृद्धि में मदद करती है।
  • मिट्टी की संरचना में सुधार लाने और जड़ों को मजबूत करने में सहायक होती है।
  • यह खरपतवारों को नियंत्रित करने में भी मदद करती है।

सरसों की खली का नियमित उपयोग न केवल पौधों को कीड़ों से बचाने में मदद करता है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है। जैविक खादों का उपयोग करना एक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है, जो फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाता है। सरसों और नीम की खली का उपयोग करके आप अपनी फसलों को स्वस्थ और रासायनिक मुक्त रख सकते हैं।

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