जानें इनकी और भी खासियत
Murgi Palan – किसान अब अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन भी कर रहे हैं। देश में लगातार अंडा और मांस की बढ़ती खपत के कारण, पोल्ट्री मुर्गी पालन अब किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प साबित हो रहा है। इसके साथ ही, भारतीय वैज्ञानिक भी मुर्गी पालन को और भी फायदेमंद बनाने के लिए मुर्गियों की नई-नई नस्लों का विकास कर रहे हैं।
देशी नस्ल की एक हितकारी मुर्गी | Murgi Palan
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भारतीय वैज्ञानिकों ने देशी नस्ल की एक हितकारी मुर्गी का विकास किया है, जिसकी गर्दन पर बाल नहीं होते। इस मुर्गी की विशेषता यह है कि वह शरीर की गर्मी को आसानी से निकाल लेती है, जिससे इसके मांस की बाजार में बहुत अधिक मांग होती है। यह देसी नस्ल की मुर्गी साल में 195 से 200 अंडे देती है, और इसकी मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण गर्मियों में भी अंडों का बंपर उत्पादन करती है।
मध्यम आकार और बहुरंगी बनावट
यह एक मध्यम आकार और बहुरंगी बनावट वाली उपकारी मुर्गी है, जो भारतीय देसी नस्ल की है। इसे शुष्क इलाकों में पाला जाता है और वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके चूजे अधिकतम वजन के साथ विकसित हो जाते हैं, जो 20 सप्ताह के अंदर डेढ़ किलो से भी अधिक हो सकता है। यह मुर्गी 1 साल में 195 से 200 अंडे देती है और इसका मांस पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है।
फाइबर और फैट की कमी | Murgi Palan
देसी नस्ल की करी श्यामा मुर्गी में फाइबर और फैट की कमी होती है, जिसके कारण इसकी बाजार में बड़ी मात्रा में मांग होती है। इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है, जिससे इसे आदिवासी क्षेत्रों में खूब पसंद किया जाता है। भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा इसे कड़कनाथ और कैरी रेड नाम से तैयार किया गया है। यह 1 साल में 200 से 210 अंडों तक का उत्पादन कर सकती है।
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