देश की पहली रैपिड ट्रेन पटरी पर जल्द ही दिखेंगी , रफ्तार160 किमी प्रति घंटा,देश की अर्थव्यवस्था को देगी नई उड़ान पहचान

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Project Rapid Rail: परिवहन होंगा और आसान ,सरकार ने प्रमुख शहरों के बीच हाई-स्पीड रैपिड रेल कनेक्शन का नेटवर्क बनाने के लिए योजना शुरू की है। लगभग 70 बिलियन डॉलर की लागत वाली इस परियोजना से देश में परिवहन में नई पहचान आयेंगी और आर्थिक विकास को तेजी से बढ़ावा मिलेगा। रैपिड रेल प्रोजेक्ट को ,नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (NHSRCL) द्वारा विकसित किया जा रहा है, यह लगभग 10 हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगा और दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद और बेंगलुरु सहित प्रमुख महानगरों को जोड़ेगा।

रैपिड रेल की अधिकतम गति 350 किमी/घंटा होने की उम्मीद है,और इससे प्रमुख शहरों के बीच यात्रा के समय में कमी आएगी। उदाहरण के लिए,अहमदाबाद और मुबंई के बीच यात्रा में लगने वाला समय 8 घंटे से घटाकर मात्र 2 घंटे कर दिया जाएगा, जबकि दिल्ली और वाराणसी के बीच यात्रा का समय 11 घंटे से घटाकर 2.5 घंटे कर दिया जाएगा।

विश्व की श्रेष्ठ तकनीक का प्रयोग: यह परियोजना नवीनतम तकनीक का उपयोग करके बनाई जा रही हैं ,और इसमें उन्नत सिग्नलिंग सिस्टम, स्वचालित ट्रेन नियंत्रण और ऊर्जा कुशल ट्रेनों जैसी कई अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। इस परियोजना में कई नए रेल्वे स्टेशनों, पुलों, सुरंगों और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण भी शामिल होगा।

रैपिड रेल परियोजना से रोजगार के कई अवसर उपलब्ध होंगे और देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा | परियोजना निर्माण चरण के दौरान लगभग 6 मिलियन रोजगार के अवसर मिलेंगे और आर्थिक विकास में तीव्रता आयेंगी

इस परियोजना से सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा मिलेगा और निजी वाहनों पर व्यक्ति कि निर्भरता कम करेंगा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की भी उम्मीद है। जो प्रदुषण कम करेंगा | हाई-स्पीड ट्रेनों के उपयोग से राजमार्गों पर भीड़ कम होगी और भीड़भाड़ ,खराब रख-रखाव वाली ट्रेनों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी।

रैपिड रेल प्रोजेक्ट का कई देशों ने किया समर्थन: रैपिड रेल प्रोजेक्ट को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) और फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी (AFD) सहित कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और सरकारों सका समर्थन मिला है। जेआईसीए ने परियोजना के लिए करीब 12 अरब डॉलर का कर्ज मुहैया कराया है, जबकि एएफडी ने करीब 3 अरब डॉलर का कर्ज मुहैया कराया है

इस परियोजना को कई चुनौतियों और आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है। परियोजना को किसानों और भूस्वामियों के विरोध का सामना करना पड़ा है जिन्होंने भूमि अधिग्रहण और मुआवजे पर चिंता जताई है। परियोजना को इसकी उच्च लागत और स्थानीय समुदायों के संभावित विस्थापन पर भी आलोचना का सामना करना पड़ा है।

हालांकि, इस परियोजना को पारदर्शी और टिकाऊ तरीके से लागू किया जाएगा। सरकार ने किसानो और भूस्वामियों को आश्वासन दिया है, कि स्थानीय समुदायों की समस्या को दूर करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे|

यह परियोजना 2050 तक पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है। यह परियोजना भारत के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी और देश के परिवहन को बदल देगी।

Dehli – Meruth Rapid Rail Project : 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की प्रथम रीजनल रैपिड ट्रेन के दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कारिडोर की नींव रखी। दिल्ली के सराय काले खां से मेरठ के मोदीपुरम डिपो तक 82 किमी मीटर तक चलेगी रैपिड ट्रेन चलेगी। 30,274 करोड़ रुपये की लागत से इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। दिल्ली से मेरठ के बीच 25 स्टेशन होंगे हैं।

भारत की पहली रैपिड रेल परियोजना से देश में लोगों के आवागमन के तरीके में क्रांति आने की उम्मीद है। यह परियोजना, जो कई वर्षों से काम कर रही है, जल्द ही इसका उद्घाटन होगा और दिल्ली और मेरठ के बीच चलेगी।

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