Religion: पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद देव उठनी एकादशी के दिन जागते हैं, जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन से ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इस वर्ष देव उठनी एकादशी का पर्व 12 नवंबर को है, और इसी दिन से शादी-ब्याह का सीजन भी शुरू होगा।
शादियों के शुभ मुहूर्त
इस साल 16 नवंबर 2024 से लेकर 8 जून 2025 तक विवाह के 40 विशेष मुहूर्त होंगे, लेकिन देव उठनी एकादशी (12 नवंबर) और बसंत पंचमी (2 फरवरी) पर कोई विवाह मुहूर्त नहीं है। इसके बाद 12 जून से 8 जुलाई तक गुरु तारा अस्त रहेगा, जिस दौरान विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं होंगे। 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास शुरू होने के कारण चार महीने तक विवाह आदि कार्यों पर विराम रहेगा। इसके बाद, शादी के मुहूर्त 2 नवंबर 2025 से पुनः शुरू होंगे।
यज्ञोपवीत और मुंडन के मुहूर्त
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यज्ञोपवीत के लिए विशेष मुहूर्त सूर्य के उत्तरायण में माने जाते हैं। सूर्य फिलहाल दक्षिणायन में है, इसलिए नवंबर और दिसंबर में यज्ञोपवीत और मुंडन के मुहूर्त नहीं निकलेंगे। 15 जनवरी 2025 के बाद यज्ञोपवीत और मुंडन के कुछ विशिष्ट मुहूर्त आएंगे।
यज्ञोपवीत के मुहूर्त:
जनवरी 2025: 15, 16फरवरी 2025: 7, 14अप्रैल 2025: 2, 7, 9, 14, 18, 30मई 2025: 1, 7, 8, 28, 29जून 2025: 8
मुंडन के मुहूर्त:
जनवरी 2025: 15, 20, 25, 31फरवरी 2025: 4, 10, 19, 22अप्रैल 2025: 14, 24मई 2025: 1, 3, 4, 15, 24, 25, 28, 31जून 2025: 7, 8ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बेवाला के अनुसार, देव उठनी एकादशी पर तुलसी और सालिग्राम विवाह होता है, और इस दिन को मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। हालांकि, कुछ लोग शास्त्रीय अभिमत को न समझकर बसंत पंचमी जैसे अबूझ मुहूर्त में भी विवाह कर लेते हैं, जिसमें उचित समय का ध्यान न रखने से संयोग में कड़की, चोर या मृत्यु पंचक जैसे दोष उत्पन्न हो सकते हैं।
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