कहाँ गायब हो गई भगवान श्री राम जी की विशाल वानर सेना? आइये जानते है…

By
On:
Follow Us

कहाँ गायब हो गई भगवान श्री राम जी की विशाल वानर सेना? आइये जानते है…. वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि श्री राम और रावण के युद्ध में वानर सेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेकिन सवाल ये है कि जब श्री राम युद्ध जीतकर वापस अयोध्या आए, तो वानर सेना का क्या हुआ? उस वक्त वानर सेना का नेतृत्व करने वाले महान योद्धा सुग्रीव और अंगद का क्या हुआ?

ये भी पढ़े- देसी दारू का कमाल! शराब के नशे में धुत शख्स जा बैठा अड़ियल बैल पर फिर जो हुआ…देखे वायरल वीडियो

वानर सेना का भविष्य

उत्तरा कांड में उल्लेख मिलता है कि लंका से वापस आने पर भगवान श्री राम ने सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बना दिया. वहीं बाली के पुत्र अंगद को युवराज बनाया गया. दोनों ने मिलकर वहां कई सालों तक राज किया. श्री राम और रावण के युद्ध में जिस वानर सेना ने योगदान दिया था, वो वही सेना कई सालों तक सुग्रीव के साथ रही. लेकिन इसके बाद ये सेना किसी बड़े युद्ध में शामिल नहीं हुई.

हालांकि, वानर सेना के महत्वपूर्ण पदों पर रहे प्रमुख पात्रों को किष्किंधा में जरूर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलीं. वानर सेना में अहम योगदान देने वाले नल-नील को सुग्रीव के राज्य में कई वर्षों तक मंत्री पद मिला, वहीं युवराज अंगद और सुग्रीव ने मिलकर किष्किंधा राज्य का विस्तार किया. गौर करने वाली बात ये है कि किष्किंधा आज भी मौजूद है.

कहाँ गायब हो गई भगवान श्री राम जी की विशाल वानर सेना? आइये जानते है…

किष्किंधा का महत्व

कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के तट पर बसा किष्किंधा, बेलारी जिले में स्थित है और विश्व प्रसिद्ध हम्पी के ठीक बगल में है. इसके आसपास प्राकृतिक सुंदरता बिखरी हुई है. आज भी किष्किंधा के आसपास कई गुफाएं और वो स्थान मौजूद हैं, जहां राम और लक्ष्मण रहे थे. किष्किंधा में वानरों का राज्य हुआ करता था, वहां भी गुफाएं पाई जाती हैं. इन गुफाओं के अंदर रहने के लिए पर्याप्त जगह है.

ये भी पढ़े- ‘रूखी सूखी रोटी’ गाने पर छोटी सी बच्ची ने किया सुन्दर सा डांस, वीडियो देख आप भी हो जाओगे फैन

किष्किंधा के आसपास एक बड़े क्षेत्र में घना जंगल फैला हुआ है, जिसे दंडक वन या दंडकारण्य वन कहा जाता है. यहां रहने वाली जनजातियों को वानर कहा जाता था, जिसका मतलब है जंगल में रहने वाले लोग. रामायण में वर्णित किष्किंधा के पास ऋष्यमुक पर्वत आज भी तुंगभद्रा नदी के तट पर aynı isimle स्थित है. यहीं पर हनुमानजी के गुरु मातंग ऋषि का आश्रम था.

वानर सेना का गठन

जब सीता को रावण द्वारा लंका में बंदी बनाए जाने की पुष्टि हुई, तो श्री राम ने जल्दबाजी में हनुमान और सुग्रीव की मदद से वानर सेना का गठन किया. इसके बाद वो लंका की ओर रवाना हुए.

रामेश्वरम से लंका तक

वायु सेना की मदद से सीता की खोज में निकलने के बाद, वानर सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया, क्योंकि पिछली जगह से समुद्र पार करना मुश्किल था. रामेश्वरम के आगे समुद्र में श्री राम को एक ऐसी जगह मिली, जहां से श्रीलंका को आसानी से पहुंचा जा सकता था. इसके बाद, विश्वकर्मा के पुत्रों नल और नील की मदद से वानरों ने सेतु का निर्माण शुरू किया.