Vasuki Naag Ka Sach | भारत में ही रहता था वासुकी नाग, वैज्ञानिकों ने किया दावा  

इसी सांप से हुआ था समुद्र मंथन

Vasuki Naag Ka Sach प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले वासुकी नाग को लेकर वैज्ञानिकों ने एक नया दावा किया है। उनके अनुसार, वासुकी नाग कोई काल्पनिक किरदार नहीं, बल्कि एक विशालकाय सांप था जो वास्तव में भारत में ही रहता था। वैज्ञानिकों का यह दावा पुरातात्विक साक्ष्यों और प्राचीन ग्रंथों के अध्ययन पर आधारित है।

पुरातात्विक साक्ष्य | Vasuki Naag Ka Sach

हरियाणा में विशालकाय सांप के जीवाश्म: हाल ही में हरियाणा में किए गए उत्खनन में वैज्ञानिकों को एक विशालकाय सांप के जीवाश्म मिले हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह सांप लगभग 50 लाख साल पहले का है और इसकी लंबाई करीब 100 मीटर रही होगी।

महाराष्ट्र में नाग मंदिरों की खुदाई: महाराष्ट्र में स्थित अनेक नाग मंदिरों की खुदाई में भी वैज्ञानिकों को विशालकाय सांपों की मूर्तियां और चित्र मिले हैं। इन मूर्तियों और चित्रों में सांपों को देवता के रूप में दर्शाया गया है।
प्राचीन ग्रंथों का उल्लेख:

रामायण और महाभारत: रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी वासुकी नाग का उल्लेख मिलता है। इन ग्रंथों में वासुकी नाग को नागलोक का राजा और समुद्र मंथन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला बताया गया है।
वायु पुराण: वायु पुराण में कहा गया है कि वासुकी नाग भारत के पश्चिमी भाग में स्थित क्षीर समुद्र में रहता था।

वैज्ञानिकों का मत | Vasuki Naag Ka Sach

वैज्ञानिकों का मानना है कि वासुकी नाग शायद किसी विशालकाय सांप की प्रजाति का ही नाम था। यह प्रजाति आज विलुप्त हो चुकी है, लेकिन प्राचीन काल में यह भारत में पाई जाती थी। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि वासुकी नाग से जुड़ी पौराणिक कथाएं शायद इसी विशालकाय सांप की देख-रेख से प्रेरित हैं।

निष्कर्ष

वैज्ञानिकों के इस दावे ने वासुकी नाग के अस्तित्व को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।  यह दावा  भारतीय पौराणिक कथाओं और इतिहास को समझने में हमारी मदद कर सकता है।

47 मिलियन वर्ष पहले मौजूद था भारत में नाग वासुकी सांप 

“वैज्ञानिक रिपोर्ट्स जर्नल प्रकाशित रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि 47 मिलियन वर्ष पहले भारत में नाग वासुकी सांप मौजूद था। यह सबसे लंबे सांप था जो की दलदली जगहों पर निवास करता था, जिसकी लंबाई 36 फीट से 50 फीट के बीच थी। एक कोयला खदान के पास इसके अवशेष मिले हैं। इस अजगर सांप का वजन लगभग एक टन था। वैज्ञानिक भाषा में इसे ‘वासुकी इंडिकस’ कहा जाता है। यह जल्दी से अपने शिकार का पीछा नहीं करता था और यह जहरीला नहीं होता था। जीवाश्म विज्ञानी जेसन हेड ने कहा, यह सांप उस समय पाया जाता था जब धरती का तापमान अत्यधिक उच्च था। इस सांप का रक्त काफी ठंडा था, जिसकी वजह से यह बेहद उच्च तापमान में भी आसानी से जीवित रह सकता था।”

“रिसर्च से इस बात की भी पुष्टि हो गई है कि अमृत मंथन में जिस सांप का इस्तेमाल किया गया था, वह सांप भारत में ही पाया गया था।”

धरती पर मौजूद सबसे विशाल सांपों से कई गुना लंबा | Vasuki Naag Ka Sach 

टायरानोसोरस रेक्स के हड्डी की जांच से पता चला कि यह सांप 40.5 फीट लंबा था। यह डायनासोर विशाल न होने के बावजूद, लेकिन यह धरती पर मौजूद सबसे विशाल सांपों से कई गुना लंबा था। सांप के पास जहां पाया गया था, वहाँ कई अन्य जीवों के जीवांश भी मिले थे, जिनमें कैटफिश, कछुआ, मगरमच्छ और प्राचीन व्हेल शामिल थीं। इससे पता चलता है कि वासुकी सांप यही सब खाकर जिंदा रहा होगा। वासुकी सांप नागों का राजा माना जाता था। यह दिन-रात अपने विशाल शरीर को लपेटकर सिंहासन की भाँति बना लेता और सबसे ऊंचाई पर अपना सिर टिकाकर रखता था। इसी अंगुलियों में यह धीरे-धीरे चलता भी रहता था। पहले टाइटेनोबोआ सांप को सबसे लंबा माना जाता था, जिसकी लंबाई 42 फीट थी और 60 मिलियन वर्ष पहले कोलंबिया में रहता था।

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