Transport department: स्मार्ट चिप कंपनी ने 1 अक्टूबर से काम बंद करने की दी सूचना

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सीधा असर प्रदेशभर में आरटीओ से संबंधित कार्यों पर पड़ेगा  

Transport department: मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग से जुड़ी सेवाओं जैसे ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण का कार्य करने वाली स्मार्ट चिप कंपनी ने 1 अक्टूबर से काम बंद करने की सूचना दी है। इसका सीधा असर प्रदेशभर में आरटीओ से संबंधित कार्यों पर पड़ सकता है। हालांकि, कंपनी का अनुबंध 31 दिसंबर 2024 तक है, लेकिन भुगतान में देरी के कारण कंपनी ने पहले ही काम समेटने का निर्णय लिया है।

रोजमार्टा कंपनी को काम सौंपने का विवाद:

परिवहन विभाग ने स्मार्ट चिप कंपनी के स्थान पर रोजमार्टा कंपनी को काम सौंपने का प्रस्ताव बिना टेंडर प्रक्रिया के रखा था, जिसे मुख्य सचिव ने वापस लौटा दिया। मुख्य सचिव ने यह सुनिश्चित करने के लिए सवाल उठाए हैं कि नई एजेंसी को काम सौंपने में नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, और यह भी पूछा है कि अगर स्मार्ट चिप कंपनी काम छोड़ती है, तो सरकार को आर्थिक नुकसान तो नहीं होगा।रोजमार्टा कंपनी को लेकर विवाद इसलिए भी है क्योंकि यह कंपनी उत्सव प्रा. लि. की सहायक कंपनी है, जिसे पहले ब्लैकलिस्ट किया गया था। उत्सव प्रा. लि. ने मध्य प्रदेश में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का काम किया था, और इस कंपनी को अन्य राज्यों जैसे दिल्ली और महाराष्ट्र में भी ब्लैकलिस्ट किया गया था।

स्मार्ट चिप कंपनी के काम बंद करने के प्रभाव:

आर्थिक नुकसान: कंपनी के काम बंद करने से सरकार को स्मार्ट चिप की 70 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी लौटानी होगी।काम ठप होने की संभावना: यदि यह समस्या समय रहते हल नहीं होती, तो प्रदेशभर में आरटीओ से जुड़े काम ठप हो सकते हैं, जिससे लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन और अन्य सेवाओं में बाधा उत्पन्न होगी।वित्त विभाग की चिंता: वित्त विभाग ने पहले ही सुझाव दिया था कि अगर स्मार्ट चिप कंपनी काम छोड़ती है, तो अनुबंध की शर्तों के तहत कंपनी से राशि की वसूली कैसे की जाएगी, इस पर ध्यान दिया जाए।

वर्तमान स्थिति:

मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग से इस पर स्पष्टता मांगी है कि नई कंपनी को काम देने में नियमों का पालन हो रहा है या नहीं। विभाग के अधिकारी अब स्मार्ट चिप कंपनी से बातचीत कर रहे हैं, ताकि वह 30 सितंबर के बाद भी काम जारी रखे। साथ ही, सरकार रोजमार्टा कंपनी को संचालन देने पर विचार कर रही है, लेकिन यह मामला अभी शासन स्तर पर लंबित है।इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि यदि समय पर निर्णय नहीं लिया गया, तो प्रदेशभर में आरटीओ की सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

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