जिले के जनप्रतिनिधियों की भी नहीं हो रही सुनवाई
Train Stoppage – बैतूल – जिले की जनता हमेशा ही सुख-सुविधाओं के बारे में पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा और होशंगाबाद का उदाहरण देते आई है। वह इसलिए कि जिन जिले में ट्रेन की पटरी तक नहीं बिछी थी वहां से आज दिल्ली तक एक्सप्रेस ट्रेनें दौड़ रही है और यह हमारे आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की बदकिस्मती ही कही जाएगी कि यहां पर जो ट्रेनें चल रही थी और जिनके स्टापेज थे उन्हें भी बंद कर दिया गया है। जिले की जनता ट्रेनें चालू करवाने के लिए और स्टापेजों के लिए हर बार जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर मांग तो करती है लेकिन ऊपर जिले के जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं होने से हर बार जनता को निराशा ही हाथ लगती है।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});महानदी और दादाधाम हुई बंद | Train Stoppage
उत्तर से दक्षिण से जोडऩे वाले बैतूल रेलवे स्टेशन सबसे पुराना रेलवे स्टेशन है। लेकिन इस स्टेशन पर कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का स्टापेज नहीं है। और जो स्टापेज थे वो ट्रेनें भी बंद हो गई है। महानदी एक्सप्रेस जो तीन दिन बैतूल से चलती थी वो भी बंद हो गई। इसके अलावा दादाधाम एक्सप्रेस भी बंद हो गई है। जिले के दूसरे स्टेशनों पर भी सुविधाएं कम होती जा रही हैं। शाहपुर में पेंचवेंली का स्टापेज बंद हो गया और लंबे समय से की जा रही अंडमान एक्सप्रेस की मांग भी पूरी नहीं हुई है। रेल यात्री और बैतूल की आम जनता बंद हुई ट्रेनों को शुरू करने की मांग कर रही है। इसके अलावा नागपुर-भोपाल इंटरसिटी एक्सप्रेस प्रारंभ करने की मांग भी लंबे समय से की जा रही है जो कि आज तक अधूरी है।
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ट्रेनों के स्टापेज की मांग
डीआरयूसीसी के सदस्य दीपक सलूजा का कहना है कि मेरे द्वारा पेंचवली एक्सप्रेस ढोढरामऊ स्टेशन पर, अंडमान एक्सप्रेस का बरबटपुर स्टेशन पर, अमरावती- जबलपुर एवं नागपुर इंदौर का मुलताई एवं घोड़ाडोंगरी पर, समता का आमला पर, काचीगुड़ा एक्सप्रेस का आमला तक विस्तार किये जाने के अलावा बैतूल के लिए भगत की कोठी, रामेश्वरम अयोध्या, हिमसागर एक्सप्रेस, मदुरै देहरादून, तिरूपति हमसफर. एवं समस्त मैंमू ट्रेन का परिचालन बैतूल से किए जाने की माँग की गई है।
नॉन स्टॉप ट्रेनों का भी मिल सकता है स्टापेज | Train Stoppage
डीआरयूसीसी के सदस्य पीयूष तिवारी का कहना है कि बैतूल जिला जहां पर डब्ल्यूसीएल, एयरफोर्स, सतपुड़ा पॉवर हाऊस सहित महत्वपूर्ण संस्थान है और यहां पर देश के कोने-कोने से आकर नौकरी कर रहे हैं। इसको देखते हुए बैतूल जिला मुख्यालय पर जो नॉन स्टाप ट्रेनें सीधे भोपाल से नागपुर की ओर आती और जाती हैं अगर उनका 2 मिनट का स्टापेज बैतूल स्टेशन पर हो जाए तो लोगों को बड़ी सुविधा मिल सकती है।
सिर्फ मिलते हैं आश्वासन
व्यवसायी प्रवीण ठाकरे का कहना है कि बैतूल रेलवे स्टेशन पर सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए और कई ऐसी ट्रेनें हैं जो यहां से गुजरती हैं उनका स्टापेज मिलना चाहिए। ट्रेनों के स्टापेज की जब भी मांग होती है तो सिर्फ आश्वासन ही मिलते हैं। बैतूल रेलवे स्टेशन कई दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह व्यवसायिक क्षेत्र है और व्यापारियों को खरीदी के लिए भी बड़े शहरों में जाना पड़ता है लेकिन कुछ ट्रेनों की ही सुविधा यहां से मिलती है।
प्राथमिकता से मिलना चाहिए स्टापेज | Train Stoppage
समाजसेवी हिमांशु वंजारे का कहना है कि जिले की जनता हर बार ट्रेनों के स्टापेजों के लिए जनप्रतिनिधियों के पास जाती है और आवेदन-निवेदन करती है। जनप्रतिनिधि भी स्टापेज दिलाए जाने के लिए पूरे प्रयास करने का आश्वासन देते हैं लेकिन लगता है कि हमारे जिले के जनप्रतिनिधियों की वैसी सुनवाई दिल्ली में नहीं हो पाती है जैसे अन्य जिलों के जनप्रतिनिधियों की होती है। इसलिए जिले की जनता स्टापेज को लेकर हमेशा निराश होती है।
भोपाल जाने में दो दिन होते हैं खराब
समाजसेवी क्षेत्रपाल शर्मा का कहना है कि भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी है और बैतूल से नेता, अधिकारी, छात्र, व्यापारी सहित अन्य आम जनता का भोपाल आना-जाना होता है। बैतूल से भोपाल जाने के लिए सुबह ही ट्रेन मिलती है इसके बाद दोपहर में मिलती है जिसके कारण अगर सुबह की ट्रेन चूक जाती है तो दोपहर की ट्रेन से भोपाल जाने में एक दिन का काम दो दिन में हो पाता है। इसी तरह से नागपुर जाने के लिए भी दोपहर के बाद रात तक कोई ट्रेन नहीं है।