ये नई नस्ल की मुर्गी देती है एक बार में 200 अण्डे और इसकी कीमत भी होती है काफी महंगी इस बिज़नेस से बन जाओगे लखपति
आज के चलन अंडे और मांस खाना सेहत के लिए उत्तम है; भारत के सभी के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन पिछले कुछ सालों पहले तक खेती को घाटे का सौदा माना जाता था, लेकिन अब कई ऐसे लोग हैं जो खेती करके ही लाखों रुपये कमा रहे हैं। लोग खेती-बाड़ी के साथ साथ साइड इनकम के लिए पशुपालन, मुर्गीपालन और मछली पालन आदि का बिजनेस कर अच्छी खासी साइड इनकम भी कर रहे हैं। इन दिनों कृषि व्यवसाय में मुर्गी पालन को एक बहुत अच्छा व्यवसाय माना जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में उभरा है। मुर्गी पालन व्यवसाय खेती के साथ आसानी से किया जा सकता है। ऐसे में आपको एक मुर्गी के नस्ल के बारे में जानकारी देने जा रहे है,
ये नई नस्ल की मुर्गी देती है एक बार में 200 अण्डे
जो एक साल में करीब 300 अंडे तक देती है। इसके अंडे का औसत वजन करीब 60 ग्राम होता है और इसके शरीक वजन की बात करे, तो यह 3-3.50 किलोग्राम तक की होती है। मुर्गियों की नस्ल को प्लायमाउथ रॉक के नाम से जाना जाता है। यह नस्ल मुर्गियां व्यवसाय के लिए उत्तम मानी जाती है, क्योंकि इस नस्ल की मुर्गी से आप बेहद कम खर्च में और छोटे स्तर पर पालन कर पोल्ट्री फार्म शुरु करके बंपर मुनाफा कमा सकते हैं। ऐसे में प्लायमाउथ रॉक मुर्गियां का पालन अच्छी कमाई का साधन बन सकता है। तो आइए आपको बता रहा है इस मुर्गी पालन के बारे संपूर्ण जानकरी।
काफी महंगी इस बिज़नेस से बन जाओगे लखपति
मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे पहले इसके बारे में अच्छी जानकारी होना बहुत जरुरी है। यदि आपको आपको इसकी जानकारी नहीं है आपको घाटा उठाना भी पड़ सकता है। यदि आप इसे व्यवसायिक स्तर पर करना चाहते हैं, तो जिले के कृषि विज्ञान केंद्र या पशुपालन विभाग से जरूर संपर्क करें। अंडे और मांस की बढ़ती मांग के कारण ये व्यवसाय गांव से लेकर शहरों तक काफी फेमस हो रहा है।
200 अण्डे और इसकी कीमत भी होती है काफी महंगी
ग्रामीण क्षेत्रों में निम्न स्तर पर मुर्गी पालन का व्यवसाय किया जा सकता है और अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। मुर्गी पालन का व्यवसाय अधिकतर अंडे एवं मांस उत्पादन के लिए किया जाता है क्योकि देशी मुर्गी के अंडे तथा मांस में मानव पोषण के लिए सबसे आवश्यक तत्व, प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। भारत में दिन-प्रतिदिन मुर्गी पालन के व्यवसाय का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। भारत अंडों के उत्पाद में तीसरे नंबर पर और मांस के उत्पाद में पांचवें नंबर पर है। ऐसे में सरकार द्वारा पशुपालन, मुर्गी पालन व्यापर के लिए सब्सिडी भी देती है। जिससे आप अपनी कमाई में काफी हद तक इजाफा कर सकते है।
मुर्गी पालन व्यवसाय में मुर्गियों की नस्ल में प्लायमाउथ रॉक मुर्गी नस्ल सबसे उत्तम मानी जाती है, क्योंकि इस नस्ल की मुर्गी से आपको साल में लगभग 300 अंडे तक प्राप्त होते हैं। प्लायमाउथ रॉक मुर्गी को अमेरिकन नस्ल के नाम से भी जाने है। प्लायमाउथ रॉक मुर्गी का पालन अण्डे के लिए सबसे उत्तम है। इस मुर्गी के एक ही अंडे का वजन करीब 60 ग्राम तक होता है। मुर्गी का वजन 3 किलोग्राम तक होता है,
ये नई नस्ल की मुर्गी देती है एक बार में 200 अण्डे और इसकी कीमत भी होती है काफी महंगी इस बिज़नेस से बन जाओगे लखपति
जो अपनी लाल चोटी और लाल कान और पीले रंग की चौंच से पहचानी जाती है। यह मुर्गी काफी शांत स्वभावी होती है, जिसे बैठने और आराम करने के बजाय घूमना-फिरना पसंद होता है। प्लायमाउथ रॉक मुर्गी भी अलग-अलग रंगों की होती हैं, जिन्हें ब्लैक फ्रिज़ल, ब्लू, पार्ट्रिज और कोलंबियन, रॉक बर्रेड रॉक भी कहते हैं। सिर्फ अंडे ही नहीं, बाजार में इसका सेहतमंद मांस भी काफी अच्छे दामों पर बिकता है, जिससे कम समय में भी किसानों अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
ऐसे करे अपनी मुर्गियों की सावधानी
क मुर्गी फार्म से दूसरे मुर्गी फार्म में दूरी रहनी चाहिए। साथ ही पानी की उचित व्यवस्था करें। मुर्गियों को पानी की बहुत ही जरूरी होता है। अगर आप गर्मी के मौसम में मुर्गी के व्यवसाय से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो ऐसे स्थान का चुनाव करें जहां पानी उनके लिए उचित मात्रा में हो।
- आवास के सामने छायादार वृक्ष लगवा देने चाहिए ताकि बाहर निकलने पर मुर्गियों को छाया मिल सके।
- आवास का आकार बड़ा होना चाहिए ताकि उसमें पर्याप्त शुद्ध हवा पहुंच सके और सीलन न रहे।
- मुर्गियां समय पर चारा चुग सके, इसलिए बड़े-बड़े टोकरे बनाकर रख लेने चाहिए।
- मुर्गी फार्म की मिट्टी समय-समय पर बदलते रहना चाहिए और जिस स्थान पर रोगी कीटाणुओं की संभावना हो वहां से मुर्गियों को हटा देना चाहिए।
- मुर्गियों के आवास का द्वार पूर्व या दक्षिण पूर्व की ओर होना अधिक ठीक रहता है जिससे तेज चलने वाली पिछवा हवा सीधी आवास में न आ सके।