तंबाकू की खेती से 1 एकड़ में 1 लाख रुपये कमा रहे किसान, मात्र 3 महीने में बन जाओगे धन्नासेठ

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तंबाकू की खेती से 1 एकड़ में 1 लाख रुपये कमा रहे किसान, मात्र 3 महीने में बन जाओगे धन्नासेठ।

तंबाकू की खेती

पारंपरिक फसलों के अलावा, कुछ किसान ऐसी फसलों की खेती कर रहे हैं जो कम समय में ज्यादा मुनाफा देती हैं। इन्हीं में से एक है तंबाकू की खेती। उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में तंबाकू की खेती तेजी से बढ़ रही है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि किसान इसे कम समय में तैयार करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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तंबाकू की खेती से 1 एकड़ में 1 लाख रुपये कमा रहे किसान, मात्र 3 महीने में बन जाओगे धन्नासेठ

यह फसल 2 से 2.5 महीनों में तैयार हो जाती है। तंबाकू की खेती में किसानों को कई फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं कि तंबाकू की कीमत कैसे तय होती है, इससे कितनी कमाई होती है, और इस खेती से किसानों को क्या-क्या लाभ मिलते हैं।

तंबाकू की खेती में कमाई

सबसे पहले बात करते हैं तंबाकू की खेती से होने वाली कमाई की। अगर किसान 3 महीने में 1 एकड़ जमीन से लाखों रुपये कमाना चाहते हैं, तो वे तंबाकू की खेती कर सकते हैं। तंबाकू की खेती में किसानों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। पिछले साल तंबाकू की कीमत 3000 से 4000 रुपये प्रति मन तक रही। 1 एकड़ जमीन से लगभग 25 मन तंबाकू प्राप्त होती है। इस हिसाब से, किसान 1 एकड़ में लगभग 1.25 लाख रुपये कमा सकते हैं। आइए जानते हैं तंबाकू की खेती के अन्य फायदे।

तंबाकू की खेती से 1 एकड़ में 1 लाख रुपये कमा रहे किसान, मात्र 3 महीने में बन जाओगे धन्नासेठ

तंबाकू की खेती के फायदे

किसानों को तंबाकू की खेती से कई फायदे मिलते हैं। किसानों का कहना है कि तंबाकू की खेती से खेत की मिट्टी बेहतर होती है। तंबाकू के बाद जब दूसरी फसल लगाते हैं, तो उसकी पैदावार अधिक होती है, क्योंकि जमीन की गुणवत्ता बेहतर हो जाती है।

जंगली जानवरों का कोई खतरा नहीं

तंबाकू की फसल को जंगली जानवरों से कोई खतरा नहीं होता है, क्योंकि जंगली जानवर इसे नहीं खाते हैं। जिन इलाकों में जंगली जानवरों का अधिक आतंक होता है, वहां के किसान तंबाकू की खेती कर सकते हैं।

अगर तंबाकू की बुवाई मार्च में की जाए तो जून में फसल तैयार होकर बिक जाती है। इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि किसानों को बाजार तक नहीं जाना पड़ता। व्यापारी खुद खेतों में आकर तंबाकू खरीदकर ले जाते हैं। यह बात उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के किसान बताते हैं।