इसकी चार मुख्य विशेषताएं बनाती हैं इसे खास
Tamatar Ki Variety – टमाटर की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है क्योंकि इसकी उपज अच्छी होती है और इसकी खेती में कम लागत आती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली द्वारा विकसित “पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2” नामक नई किस्म के टमाटर के साथ किसानों को अधिक मुनाफा होने की आशा है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह अनियमित बढ़ती है, और किसान इसकी पहली तुड़ाई को 75-80 दिनों में शुरू कर सकते हैं। इसके फल गोल, सुनहरे पीले रंग के होते हैं और उनकी सतह चिकनी होती है।
गर्मियों का मौसम जरूरी | Tamatar Ki Variety
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इस किस्म के टमाटर की खेती के लिए गर्म मौसम की आवश्यकता होती है, और इसे अधिकतम उत्पादकता के लिए गर्मियों में किया जा सकता है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए और मिट्टी में अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। सामान्यत: प्रति हेक्टेयर 25-30 टन सड़ी हुई गोबर खाद की भी आवश्यकता होती है।
अहम विशेषताएं
इस किस्म की खासियत यह है कि यह अत्यधिक उपज देती है और यह अनियमित बढ़ती है। प्रति पौधा औसतन 9-10 गुच्छे फलों के लगते हैं और प्रति गुच्छे में 25-30 चेरी टमाटर होते हैं। चेरी टमाटर का औसत वजन 7 से 8 ग्राम तक होता है। साथ ही, एक पौधे से औसतन तीन से साढ़े चार किलोग्राम तक उपज हो सकती है। इस प्रकार, प्रति हजार स्क्वायर वर्ग मीटर में उपज क्षमता 9-11 टन होती है।
टमाटर की इस किस्म को रोपाई के 75-80 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार किया जा सकता है। इसकी फसल लगभग 9-10 महीने तक लंबे समय तक उगती है। इसके फलों में प्रति 100 ग्राम ताजा वजन के आधार पर 13.02 मिलीग्राम कैरोटीन, 0.33 प्रतिशत खट्टापन, और 90 फीसदी तक मिठास होती है, साथ ही 18.3 मिलीग्राम एस्कॉर्बिक एसिड पाया जाता है।
चेरी टमाटर की खासियत | Tamatar Ki Variety
पूसा गोल्डन चेरी टमाटर की खासियत यह है कि इसकी खेती पूरे साल भर पॉलीहाउस में की जा सकती है जो पूरी तरह से नियंत्रित पर्यावरण में होता है। यदि पॉलीहाउस हवादार है या कम लागत वाला है, तो सितंबर के महीने में इसकी रोपाई की जाती है और इसकी फसल मई महीने तक तोड़ी जा सकती है। इसकी बीज दर की बात करें तो प्रति हेक्टेयर 125 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। नर्सरी में इसके पौधे तेयार किए जा रहे हैं तो जुलाई अगस्त के महीने में कोकोपिट नर्सरी ट्रे में इसकी बुवाई की जा सकती है। इसकी खेती में खरपतवार का नियंत्रण बेहद महत्वपूर्ण है।
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