महिलाओं ने लगाए हैं अपने पति पर आरोप
भोपाल – आज पारिवारिक रिश्ते इतने कमजोर हो गए हैं कि घर में ही एक-दूसरे को बेईज्जत करने के लिए परिजन किसी भी हद तक जाने से नहीं चूक रहे हैं। बहू परिवार में पति, सास-ससुर, ननंद को तो परिवार के अन्य सदस्य बहू और उनके मायके पक्ष के लोगों को कोर्ट कचहरी में घसीटने से परहेज नहीं कर रहे हैं। इसके चलते रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब अधिकांश मामलों में ऐसा होना माना जा रहा है कि महिलाएं अपने पति को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से धारा 377 का कानून के जानकारों की सलाह पर धारा 377 का सहारा ले रही हैं। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में 46 मामले इन्हीं धाराओं को लेकर दर्ज हुए हैं। इसके अलावा बैतूल जिले में भी ऐसा ही एक मामला दर्ज होने की बात कही जा रही है।
अब महिलाएं दहेज प्रताड़ना (धारा 498 ए) के साथ अप्राकृतिक कृत्य यानी आईपीसी की धारा 377 के तहत भी एफआईआर दर्ज करा रहीं हैं। धारा 377 में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। ऐसे में पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना पड़ता है। जमानत देने या जेल भेजने का निर्णय कोर्ट करता है। ऐसे मामले बढ़ते देख प्रदेश की महिला सुरक्षा शाखा ने अप्राकृतिक कृत्य की शिकायत करने वाली महिलाओं का मेडिकल टेस्ट कराने के बाद ही एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किए हैं।
भोपाल में चार महीने में 10 एफआईआर
पारिवारिक विवाद में अब तक महिलाएं सिर्फ दहेज प्रताड़ना की शिकायत करती थीं। अब ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना के साथ-साथ पति के खिलाफ अप्राकृतिक यौन शोषण की एफआईआर कराने के मामले बढ़ गए हैं। दहेज प्रताड़ना के साथ अप्राकृतिक कृत्य के प्रकरणों का ग्राफ बढ़ने पर प्रदेश की महिला सुरक्षा शाखा ने जब मामलों का एनालिसिस किया तो तस्वीर साफ हुई कि महिलाएं पति को हर हाल में जेल भेजने के लिए धारा 377 का सहारा ले रहीं हैं। पिछले साल 16 जिलों में दहेज प्रताड़ना के साथ अप्राकृतिक कृत्य की 47 एफआईआर दर्ज हुई हैं, जिसमें भोपाल में ही 7 एफआईआर हुई थीं। इस साल भी चार महीनों में ही भोपाल के महिला थाना, शाहपुरा, मिसरोद आदि में 10 एफआईआर इस तरह की दर्ज हो चुकी हैं।
377 धारा में करना पड़ता है गिरफ्तार
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सात साल से कम सजा वाले अपराधों में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है। दहेज प्रताड़ना के मामले में सात साल तक की सजा का प्रावधान है, इसलिए पुलिस द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता बल्कि उन्हें केवल नोटिस जारी कर दिया जाता है। वैवाहिक जीवन में महिला अपने पति पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लगा सकती, इसलिए पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 में एफआईआर दर्ज कराई जा रही हैं। इसमें दस साल या आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। ऐसे में आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना पुलिस की जिम्मेदारी हो जाती है।
पिछले साल ऐसे मामलों में दर्ज केस
- भोपाल 07
- इंदौर 03
- ग्वालियर 08
- जबलपुर 06
- उज्जैन 02
- विदिशा 02
- बैतूल 01
- रायसेन 01
- नर्मदापुरम 03
- निवाड़ी 01
- सागर 02
- कटनी 03
- रीवा 01
- नरसिंहपुर 03
- बालाघाट 03
- मंडला 01
ऐसे मामलों में निचली अदालतों में सुनवाई नहीं
अप्राकृतिक कृत्य के मामलों (377) में आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। ऐसे मामलों की सुनवाई सेशन कोर्ट में होती है। निचली अदालत इन मामलों की सुनवाई नहीं करती है।
राजेंद्र उपाध्याय, लोक अभियोजन अधिकारी, भोपाल
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