Story: राममूर्ति त्यागराजन श्रीराम ग्रुप के संस्थापक, एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने सादगी और विनम्रता के साथ एक विशाल वित्तीय साम्राज्य खड़ा किया है। 1.50 लाख करोड़ से अधिक संपत्ति के मालिक होने के बावजूद, उनके जीवन में दिखावे और भौतिक वस्तुओं का कोई स्थान नहीं है। जहां लोग दौलत के साथ महंगे मोबाइल, कार, और आलीशान घरों की तरफ आकर्षित होते हैं, वहीं राममूर्ति त्यागराजन ने अपनी सादगी और विनम्रता को हमेशा प्राथमिकता दी है।
87 वर्षीय राममूर्ति त्यागराजन का जीवन आज भी बहुत साधारण है। न उनके पास कोई महंगी गाड़ी है, न ही वे मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। वह केवल 6 लाख रुपये की एक साधारण कार से सफर करते हैं। उनकी इस सादगी का कारण उनकी सोच और जीवन की प्राथमिकताएं हैं, जिनमें दिखावे का कोई स्थान नहीं है। करोड़पति होते हुए भी उन्होंने महंगी चीजों से दूरी बनाए रखी है और अपने जीवन को साधारण ढंग से जिया है।
श्रीराम ग्रुप की शुरुआत
1960 में राममूर्ति त्यागराजन ने लोगों की जरूरतों को समझते हुए एक छोटी सी चिट फंड कंपनी की शुरुआत की थी। उस समय, बैंक छोटे व्यवसायियों, ट्रक ड्राइवरों, और कम आय वाले लोगों को लोन देने में असमर्थ थे। राममूर्ति त्यागराजन ने इसे एक अवसर के रूप में देखा और फैसला किया कि वो उन लोगों को कर्ज देंगे, जिन्हें बैंक मदद नहीं करता। इस सोच ने श्रीराम ग्रुप को जन्म दिया, जो आज एक विशाल वित्तीय संस्थान बन चुका है।
न लग्जरी कार, न आलीशान घर
संपत्ति के बावजूद राममूर्ति त्यागराजन ने अपने जीवन को सादगी में ढाला है। उनके पास न तो ऑडी, मर्सिडीज जैसी महंगी कारें हैं और न ही कोई आलीशान बंगला। वह हमेशा साधारण कपड़े पहनते हैं और लग्जरी से कोसों दूर रहते हैं। उनकी इस सादगी ने उन्हें दूसरों से अलग बनाया है और समाज के लिए एक मिसाल कायम की है।
परोपकार में आगे
अपने लिए भले ही उन्होंने कुछ भी खास न किया हो, लेकिन दूसरों की मदद करने में वह हमेशा आगे रहे हैं। उन्होंने अपनी एक 75 करोड़ डॉलर की कंपनी में हिस्सेदारी बेचकर उस पैसे को दान कर दिया। उनकी इस परोपकार भावना से यह साबित होता है कि उनके लिए दौलत का मतलब केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज और जरूरतमंदों के लिए भी है।
राममूर्ति त्यागराजन का जीवन यह सिखाता है कि सच्ची सफलता सिर्फ धन-संपत्ति में नहीं, बल्कि सादगी और समाज की सेवा में होती है।
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