सूरजमुखी की एक नई किस्म की गई विकसित
Soorajmukhi Ki Kheti – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने सूरजमुखी की एक नई किस्म विकसित की है, जिसे साल भर उगाया जा सकता है। यह किस्म ‘पीएचके-एसएफ-10’ नाम से जानी जाती है।
यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में कई मायनों में बेहतर है | Surajmukhi Ki Kheti
यह किस्म कम समय में तैयार हो जाती है।
इस किस्म में तेल की मात्रा अधिक होती है।
यह किस्म रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधी है।
यह किस्म कम पानी में भी उगाई जा सकती है।
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इस किस्म के विकसित होने से किसानों को कई फायदे होंगे:
किसान साल भर सूरजमुखी की खेती कर सकेंगे।
किसानों को अधिक मुनाफा होगा।
भारत में सूरजमुखी के तेल का उत्पादन बढ़ेगा।
IARI के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्म किसानों के लिए एक वरदान साबित होगी।
सूरजमुखी एक फायदेमंद फसल है जो तेल के लिए उगाई जाती है। इसकी खेती करना अपेक्षाकृत आसान है, और यह कम पानी और देखभाल में भी अच्छी पैदावार दे सकती है।
यहां सूरजमुखी की खेती करने के कुछ महत्वपूर्ण चरण दिए गए हैं | Surajmukhi Ki Kheti
जलवायु: सूरजमुखी गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से उगती है। इसे 20-30 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है।
मिट्टी: सूरजमुखी को अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई मिट्टी में उगाया जाना चाहिए। मिट्टी का पीएच 6.0-7.0 होना चाहिए।
बुवाई: सूरजमुखी की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है। बीजों को 3-4 सेंटीमीटर गहराई और 30-45 सेंटीमीटर की दूरी पर बोया जाना चाहिए।
सिंचाई: सूरजमुखी को कम पानी की आवश्यकता होती है। बुवाई के बाद पहली सिंचाई 10-15 दिनों के बाद करनी चाहिए। इसके बाद, आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।
खाद: सूरजमुखी को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की आवश्यकता होती है। बुवाई के समय 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटेशियम प्रति हेक्टेयर डालें।
निराई-गुड़ाई: खरपतवारों को समय-समय पर निकालते रहना चाहिए। पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 15-20 दिनों बाद करनी चाहिए।
कीट और रोग: सूरजमुखी पर तना छेदक, पत्ती खाने वाले कीट और सफेद मक्खी जैसे कीटों का प्रकोप हो सकता है। इनकी रोकथाम के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए।
फसल कटाई: सूरजमुखी की फसल 120-150 दिनों में तैयार हो जाती है। जब फूलों के पीछे के बीज काले हो जाएं, तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए।
उपज: सूरजमुखी की उपज 20-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
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