मप्र के फॉर्मूले को केंद्र ने देश में किया लागू
Solar Panel – भोपाल – पावर हाऊस के राखड़ डेम में सोलर पैनल लगाकर बिजली बनाने के आईडिए को अब देश में भी लागू किया गया है। यह पहल मध्यप्रदेश के तीन राखड़ डेम में की गई थी जिसे अब देश भर के राखड़ डेमों में लागू किया जाएगा।
प्रदेश में तीन जगह बनेगी बिजली | Solar Panel
जानकारी के अनुसार मप्र ऊर्जा विभाग अब थर्मल पावर स्टेशनों के राखड़ डेम का इस्तेमाल भी सूरज से बिजली पैदा करने के लिए करेगा। इसके लिए प्रदेश के तीन थर्मल पावर हाउस को चुना गया है। खंडवा के सिंगाजी, उमरिया के बिरसिंहपुर और बैतूल के सारणी के राखड़ (फ्लाई ऐश ) डेम पर सोलर पैनल लगाकर बिजली बनाई जाएगी। इन तीनों जगहों पर शुरुआती चरण में कुल 114 मेगावॉट बिजली बनेगी।
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कम होगा 35 गुना कार्बन उत्सर्जन
इसके लिए प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने केंद्र सरकार को कैलकुलेशन के तौर पर एक फार्मूला भेजा था। इसके मुताबिक राखड़ डेम पर पौधरोपण के बजाय सोलर पैनल लगाने से कार्बन उत्सर्जन 35 गुना कम किया जा सकेगा। ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने बताया कि मप्र के इस फार्मूले को केंद्र सरकार ने पूरे देश में लागू कर दिया है। अफसरों का दावा है कि वन विभाग से जमीन हस्तांतरित होते ही अगले साल इन तीनों राखड़ डेम पर सोलर प्लांट से बिजली बनने लगेगी।
उड़ जाती है 10 प्रतिशत राख | Solar Panel
तय मानक के अनुसार थर्मल पावर हाउस में रोजाना एक मेगावाट बिजली बनाने के लिए 1400 किलो ए ग्रेड कोयला लगता है। बिरसिंहपुर पावर हाउस में 1340 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए रोजाना 1876 टन, सिंगाजी पावर हाउस में 2520 मेगावाट बिजली के लिए 3528 टन और सारणी में 1330 मेगावाट बिजली के लिए 1862 टन कोयला लगता है। लगभग 90 प्रतिशत राख के रूप में डंपिंग यार्ड्स में इकठ्ठा होता है। इसमें से 10 प्रतिशत राख हवा में उड़ जाती है।
अलग से जमीन की जरूरत नहीं पड़ेगी
प्रमुख सचिव, ऊर्जा संजय दुबे ने बताया कि इसके लिए अलग से जमीन की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने ही थर्मल पावर हाउस के पास सोलर पैनल लगा सकेंगे। बिजली की ज्यादा डिमांड होने पर वह पूरी की जा सकेगी। सोलर प्लांट के लिए टेंडर निकाले जा चुके हैं। शासन की राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के चेयरमैन रमेश चंद्र शर्मा के साथ कई कर्मचारी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मिले। शर्मा ने बताया कि भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों को 4त्न डीए बाबा महाकाल की नगरी से ही मिलेगा। साभार