यह छोटा सा फल कब्ज, गैस और एसिडिटी से दिलाता है राहत, जानिए इस फल के बारे में

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यह छोटा सा फल कब्ज, गैस और एसिडिटी से दिलाता है राहत, जानिए इस फल के बारे में। छोटा, गोल और खट्टा करोंदा (Gooseberry) कई स्वास्थ्य लाभों से भरपूर है। इसका उपयोग आमतौर पर अचार, जैम या चटनी बनाने में किया जाता है। इसके अलावा, करोंदे के पौधे की पत्तियाँ और छाल भी औषधीय गुणों के लिए जानी जाती हैं।

आयुर्वेदिक डॉक्टर किशनलाल बताते हैं कि करोंदा एक झाड़ीदार पौधा है, जिसकी ऊँचाई 6 से 8 फीट तक हो सकती है। इसकी शाखाओं पर मजबूत कांटे होते हैं। यह एक सदाबहार पौधा है और जून से अगस्त तक फल देता है। अगस्त के बाद इसके फल पकने लगते हैं, जो सितंबर-अक्टूबर तक रहते हैं।

घर पर कैसे लगाएं करोंदा का पौधा

करोंदे का पौधा लगाने के लिए उसे ऐसी जगह पर लगाएं जहाँ पर्याप्त धूप मिले। इसे दिन में कम से कम 6-8 घंटे की धूप की आवश्यकता होती है। हल्की, अच्छी तरह से जल निकासी वाली मिट्टी करोंदे के लिए उपयुक्त होती है। आप इसे रेत, बगीचे की मिट्टी और खाद के मिश्रण से तैयार कर सकते हैं। इसे बीज और पौधे दोनों से लगाया जा सकता है।

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पौधा लगाने के लिए

बीज को 1-2 इंच गहरा लगाएं और हल्की मिट्टी से ढक दें। नर्सरी से पौधा खरीदकर गड्ढे में सावधानी से रखें और मिट्टी से ढक दें। पौधा लगाने के तुरंत बाद उसे अच्छी तरह से पानी दें। फिर नियमित रूप से पानी दें, लेकिन अधिक पानी से बचें और मिट्टी को नम रखें। हर 4-6 हफ्ते में जैविक खाद या बायोफर्टिलाइज़र का उपयोग करें। इसके अलावा, समय-समय पर पौधे की छंटाई करें ताकि यह स्वस्थ और घना बना रहे।

करोंदे के औषधीय लाभ

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करोंदे में विटामिन सी, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और जिंक जैसे कई पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा, करोंदे में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज, गैस और एसिडिटी से राहत देता है। यह हड्डियों को मजबूत करने में भी सहायक है। करोंदे में पाया जाने वाला आयरन एनीमिया की समस्या से राहत दिलाता है।

घर में करोंदा लगाना है शुभ

घर में करोंदे का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। इसे धार्मिक और औषधीय गुणों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। करोंदे का पौधा देखभाल में भी आसान होता है और साल भर फल देता है। इसके अलावा, वास्तु शास्त्र में इसे सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी माना गया है।