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Sleep test: ड्राइविंग लाइसेंस देने से पहले चालकों के स्लीप टेस्ट की सिफारिश  

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विशेषज्ञों ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को एक पत्र लिखा

Sleep test: मध्य भारत में आयोजित साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने सड़क हादसों और अधूरी नींद के बीच के गहरे संबंध पर गंभीर चिंता व्यक्त की। इस सम्मेलन में बताया गया कि भारत में प्रतिवर्ष होने वाले सड़क हादसों में लगभग 25 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण वाहन चालकों की अधूरी नींद होती है। यह एक बेहद चिंताजनक आंकड़ा है, खासकर जब देश में हर साल डेढ़ लाख से अधिक लोगों की सड़क हादसों में मौत होती है।

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विशेषज्ञों ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर ड्राइविंग लाइसेंस देने से पहले चालकों के स्लीप टेस्ट की सिफारिश की है। लखनऊ के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. बीपी सिंह ने बताया कि नींद और शरीर की प्राकृतिक घड़ी, जिसे ‘सर्केडियन रिदम’ कहा जाता है, का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। बिगड़ती जीवनशैली के कारण आजकल नींद के चक्र में गड़बड़ी होती जा रही है, जिससे नींद से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं।

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मुंबई की शिशु पल्मोनोलाजी विशेषज्ञ डॉ. इंदु खोसला ने स्कूली विद्यार्थियों में नींद की कमी को एक प्रमुख मुद्दा बताया। उनके अनुसार, मोबाइल और टीवी के अत्यधिक उपयोग के कारण बच्चे पर्याप्त नींद नहीं ले पा रहे हैं। खासतौर पर सुबह की शिफ्ट में स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए यह समस्या और गंभीर हो जाती है, जिससे उनकी पढ़ाई और एकाग्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लगभग 20 प्रतिशत स्कूली विद्यार्थी पर्याप्त नींद नहीं ले पाते, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर असर पड़ता है। यह कॉन्फ्रेंस इस गंभीर समस्या पर ध्यान आकर्षित करने के साथ ही लोगों के जीवन में बेहतर नींद और सड़क सुरक्षा के महत्व को उजागर करती है।

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