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Shri Krishna Janmashtami : प्राचीन श्रीकृष्ण मंदिर में धूमधाम से मनाया गया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

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दिन भर चले भजन-कीर्तन, संतान की मन्नत होती है पूरी

Shri Krishna Janmashtamiबैतूल – जिले के प्रसिद्ध आस्था के केंद्र और प्राचीन श्रीराधा-कृष्ण मंदिर में कोठीबाजार में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की। दिन भर मंदिर में भजन कीर्तन चले, जहां दिन में महिला मंडल के द्वारा भजन किए गए। वहीं शाम को पुरूष मंडल के द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी गई। पिछले कई दिनों से जन्माष्टमी पर्व को लेकर तैयारियां की जा रही थीं। मंदिर परिसर को बलून, फ्लावर और लाईटिंग से आकर्षक साज सज्जा की गई थी जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी थी। महिला मंडल के द्वारा भजन कीर्तन किए गए। इसके अलावा मंदिर परिसर में बनाए गए आडिटोरियम में भगवान श्रीकृष्ण के लिए झूला लगाया गया और श्रद्धालुओं ने उनको झूलाकर पूजा अर्चना की। इस मौके पर भजन संध्या का भी आयोजन किया गया। जिस पर श्रद्धालु झूम उठे। देर रात तक चले कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। रात्रि 12 बजे भगवान श्री कृष्ण के जन्म के अवसर पर महाआरती की गई। श्रद्धालुओं को प्रसादी भी वितरित की गई। Shri Krishna Janmashtami

श्रीराम मंदिर, शिव मंदिर, श्रीराधाकृष्ण मंदिर, छोटा श्रीराम मंदिर, पार्वती भवन, एकीकृत ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को लेकर 6 महिला मंडल के द्वारा भजन कीर्तन किए गए। इसके बाद शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में पुरूष मंडलों के द्वारा भजन कीर्तन किए गए।

ट्रस्ट के ट्रस्टी सचिव नवनीत गर्ग ने बताया कि जन्माष्टमी पर्व मनाने के लिए ट्रस्ट के द्वारा तैयारियां की गई थी। आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इस दौरान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बच्चों की झांकी भी सजाई गई और इन बच्चों को उपहार दिए गए। रात्रि 12 बजे आरती के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया और नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की… जयकारों से मंदिर गूंज गया। इसके पश्चात् प्रसादी वितरण का कार्यक्रम किया गया।

मंदिर के व्यवस्थापक राजू पारिख ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1868 में की गई थी। मान्यता है कि इस मंदिर को पार्वती बाई नाम की महिला ने जिन्हें संतान नहीं थी उन्होंने भगवान को अपना पुत्र मानकर मंदिर की स्थापना की थी। तब से यह माना जाता है कि जो भी संतानहीन दम्पत्ति इस मंदिर में मन्नत लेकर आते हैं उनकी मन्नत पूरी होती है। श्री पारिख ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन कृष्णपुरा टिकारी की ग्वाल मंडली के द्वारा मटकी फोड़ का आयोजन भी किया गया। Shri Krishna Janmashtami

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