आख़िर शिव जी के गले में क्यों होता था हमेशा नागराज जाने इसका असली राज बड़े बड़े विद्वानों को नहीं पता इसका राज़ महादेव को अपने भक्त नागों से बेहद प्रेम है इसलिए वे हमेशा अपने गले में वासुकी नाग को धारण किए रहते हैं. शिव जी ने एक घटना के बाद नागों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें गले में धारण किया था.
आख़िर शिव जी के गले में क्यों होता था हमेशा नागराज जाने इसका असली राज बड़े बड़े विद्वानों को नहीं पता इसका राज़
भगवान शिव के गणों में नाग भी शामिल हैं. बल्कि नाग देवता को तो महादेव ने अपने गले में स्थान दिया है. भगवान शिव अपने गले में वासुकी नाग को धारण किए रहते हैं. इतना ही नहीं कभी भी शिवलिंग की स्थापना अकेले नहीं की जाती है. बल्कि शिवलिंग के साथ नाग देवता जरूर विराजित किए जाते हैं. शिव जी की पूजा तभी पूरी मानी जाती है जब साथ में नागदेवता और नंदी की पूजा की जाए. नागपंचमी के दिन नाग देवता और भगवान शिव की पूजा करना सुख-सौभाग्य बढ़ाता है. इस साल 21 अगस्त 2023, सोमवार को नागपंचमी मनाई जाएगी. यह दिन कालसर्प दोष से निजात पाने के लिए भी खास होता है. साथ ही राहु-केतु दोष दूर करने के लिए भी नागपंचमी के दिन उपाय कर लेना सारे कष्ट दूर कर देता है.
शिव के गले का हार क्यों बना वासुकी नाग? Shiv Ji Ke Gale Ka Nag
हिंदू धर्म में अष्ट नागों का उल्लेख है. यानी कि 8 नाग देवता माने गए हैं. आख़िर शिव जी के गले में क्यों होता था हमेशा नागराज जाने इसका असली राज बड़े बड़े विद्वानों को नहीं पता इसका राज़ शिव जी के गले में रहने वाले नागराज वासुकी नाग हैं. शिवजी द्वारा वासुकी नाग को गले में धारण करने के पीछे एक कथा है. जब समुद्र मंथन हो रहा था तो वासुकि नाग को ही रस्सी के रूप में मेरू पर्वत के चारों ओर लपेटकर मंथन किया गया था. इस कारण वासुकी नाग का पूरा शरीर लहूलुहान हो गया था.
आख़िर शिव जी के गले में क्यों होता था हमेशा Shiv Ji Ke Gale Ka Nag
साथ ही जब समुद्र मंथन से हलाहल विष निकला था तो भगवान शिव ने इसे ग्रहण किया था. इस समय वासुकी नाग ने भी भगवान शिव की मदद के लिए कुछ विष ग्रहण किया था. हालांकि जहरीले नाग को ये विष ग्रहण करने से कोई असर नहीं हुआ. लेकिन नाग की भक्ति देखकर शिव बेहद प्रसन्न हुए और तब से ही भगवान शिव ने प्रसन्न होकर अपने गले में वासुकी नाग को धारण कर लिया.
दुर्जनों पर भी कृपा करते हैं भगवान Shiv Ji Ke Gale Ka Nag
भोलेनाथ द्वारा गले में सर्प जैसे विषैले और भयानक जीव को धारण करना इस बात का भी प्रतीक है कि यदि दुर्जन लोग भी अच्छे काम करें तो भगवान उन पर कृपा करते हैं. लिहाजा व्यक्ति को हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए भले ही उसका मूल स्वभाव कैसा भी क्यों ना हो.