महंगी रेत से आम जनमानस परेशान, जिले की खदाने शुरू होने में लगेगा समय
बैतूल – Ret Ke Badhe Dam – जिले में रेत संकट बनाने का ठीकरा तत्कालीन खनिज अधिकारी ज्ञानेश्वर तिवारी पर फूटा था और 2 दिसम्बर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुंड बकाजन के कार्यक्रम में मंच से सस्पेंड कर दिया था। श्री तिवारी के सस्पेंड होने के बाद भी जिले में रेत का संकट दूर नहीं हो पा रहा है। नए ठेकेदार ने ठेका तो ले लिया, लेकिन सरकारी अनुमति की प्रक्रिया लम्बी होने के कारण जिले की खदानों से रेत का उत्खनन शुरू नहीं हो पाया है। चर्चा ये भी है कि कई रेत खदानों से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है जिसकी शिकायते लगातार खनिज विभाग को मिल रही है। वहीं दूसरे जिलों से रेत आने के कारण उसके दाम आसमान छू रहे हैं। महंगी रेत होने के कारण आम जनमानस भी परेशान है।
53 करोड़ रूपए में हुआ नया ठेका(Ret Ke Badhe Dam)
उमा रेसीडेंसी ने रेत का ठेका सरेंडर कर दिया था और इसके बाद वंशिका कंस्ट्रेक्शन ने रेत खदानों का ठेका लिया था, जिसकी राशि 32 लाख करोड़ रूपए थी। इसे तकनीकी खामी मानकर ठेकेदार न्यायालय की शरण में गया था। इसके बाद नए टेंडर डले और इसमें नेशनल एनर्जी ट्रेडिंग एंड सर्विसेस तेलंगाना की कम्पनी ने 53 करोड़ 11 लाख 95 हजार 424 रूपए 20 पैसे में रेत का ठेका लिया है। जिले में 45 खदानें है जिनसे रेत उत्खनन किया जाएगा। नए ठेकेदार की अभी कुछ अनुमति नहीं हो पाई है जिसके कारण उनका कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
अब अनुमति लेने की प्रक्रिया जारी(Ret Ke Badhe Dam)
प्रभारी खनिज अधिकारी वीके नागवंशी ने बताया कि रेत ठेकेदार ने 50 प्रतिशत राशि जमा कर दी है, इसके अलावा माईनिंग प्लान भी जमा कर दिया है। रेत खदान चालू करने के लिए कुछ अनुमति लेना बाकी है जिसकी प्रक्रिया चल रही है। इन अनुमति में पर्यावरण स्वीकृति के लिए भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अनुमति मिलना बाकी है। इसके अलावा जिला स्तरीय समिति से भी अनुमति ली जाना है। श्री नागवंशी का कहना है कि इस प्रक्रिया में 15 से 20 दिन लग सकते हैं और उसके बाद ही रेत खदान शुरू हो पाएगी। साथ ही अनुबंध भी होना अभी बाकी है।
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महंगी रेत ने तोड़ दी कमर(Ret Ke Badhe Dam)
पिछले 6 माह से जिले में रेत संकट चल रहा है। इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ रहा है। निर्माण कार्य से संबंधित व्यापार पर भी खासा असर देखने को भी मिल रहा है। महंगी रेत के कारण पीएम आवास निर्माण में भी दिक्कत आ रही है। जिले के बाहर से छिंदवाड़ा, हरदा और सीहोर से रेत आने के कारण ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ जाने से 800 फीट रेत 40 हजार, 600 फीट रेत 38 हजार और 400 फीट रेत 25 हजार रूपए में मिल रही है। जिनको बहुत जरूरी है वो ही इतनी महंगी रेत खरीद पा रहे हैं। रेत संकट के कारण सरिया, सीमेंट, टाईल्स, ईंट, बिजली फिटिंग, नल फिटिंग के व्यापार पर सीधा असर तो पड़ ही रहा है, इसके अलावा उन मजदूरों के परिवार पर भी असर है जो निर्माण कार्य में मजदूरी करते हैं।
धड़ल्ले से हो रहा रेत का अवैध उत्खनन(Ret Ke Badhe Dam)
जिले के बाहर से तो रेत आ ही रही है, लेकिन जिले के अंदर बंद पड़ी खदानों से रेत का अवैध उत्खनन भी हो रहा है। रेत का अवैध उत्खनन करने वाले खनिज विभाग को चकमा देकर यह कार्य कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि चोपना, शाहपुर क्षेत्र से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। खनिज अधिकारी वीके नागवंशी ने खुद स्वीकार किया है कि रेत के अवैध उत्खनन की शिकायते उन्हें प्राप्त हो रही है। श्री नागवंशी ने बताया कि राजस्व और पुलिस की मदद से रेत के अवैध उत्खनन को रोक