नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन राज्यसभा की कार्यवाही विपक्ष के भारी हंगामे की भेंट चढ़ गई। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग की, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई और दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
मानसून सत्र के अंतिम दिन उच्च सदन की कार्यवाही जैसे ही प्रारंभ हुई, वैसे ही विपक्ष ने सरकार पर जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। विपक्षी सांसदों ने एसआईआर से लेकर राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन, किसानों की समस्याओं, बेरोजगारी और मणिपुर की स्थिति जैसे मुद्दों को उठाने के लिए नियम 267 के तहत चर्चा की मांग की, जो सभापति द्वारा स्वीकार नहीं की गई। इस पर विपक्ष ने नाराजगी व्यक्त करते हुए वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी।
संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में उपस्थित थे, लेकिन लगातार शोरगुल के चलते कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल सकी। सभापति द्वारा कई बार शांति बनाए रखने की अपील की गई, परंतु विरोध प्रदर्शन थमा नहीं। अंततः कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। यहां बताते चलें कि इससे पहले लोकसभा में विपक्ष के जोरदार हंगामें के बीच सत्रावसान के रूप में कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। मानसून सत्र के दौरान कुल 7 विधेयक पारित किए गए, जिनमें महिला आरक्षण संशोधन विधेयक और शिक्षा क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण विधेयक शामिल हैं।
राज्यसभा में विपक्ष के विरोध के चलते कार्यवाही रही बाधित

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