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चुनाव में जयस संगठन का हुआ बिखराव
Political News – बैतूल – पिछले कुछ वर्षों में बैतूल जिले के आदिवासी बाहुल्य संपूर्ण क्षेत्र में जय आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) ने इतनी तेजी से अपने पांव पसारे थे कि जिले के सबसे बड़े राजनैतिक दलों कांग्रेस और भाजपा के भी हाथ-पांव फूलने लगे थे क्योंकि जिस तरह से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आदिवासियों का बहुत बड़ा वर्ग इस संगठन के झंडे तले इक्ट्ठा होने लगा था उससे राजनैतिक समीक्षक यह मान रहे थे कि यदि यह संगठन जिले की चुनावी राजनीति में उतरा तो जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर चुनाव परिणाम प्रभावित करने और विशेषकर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र में जीत की पताका फहरा सकते हैं। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती गई वैसे-वैसे इस संगठन का असर कई कारणों से कम होता दिखाई दिया।
सबसे पहले की थी उम्मीदवारों की घोषणा
जहां कांग्रेस और भाजपा जब तक जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पाई थी और जयस और कांग्रेस में सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा चल ही रही थी। इसी बीच जयस ने स्थानीय स्तर पर जिले की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी थी जिसमें भैंसदेही से जयस के जिलाध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य संदीप धुर्वे, घोड़ाडोंगरी इंजीनियर चंद्रशेखर राजा धुर्वे, बैतूल से महेश शाह उइके, आमला से राकेश महाले और मुलताई विधानसभा से गुड्डू अहाके का नाम घोषित कर दिया था।
कांग्रेस मानती थी जयस को अपना साथी
कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसी दौरान मीडिया से चर्चा में कहा था कि जयस से हमारी बात चल रही है। जयस में कांग्रेस का ही डीएनए है इसलिए मतभेद जैसी कोई बात नहीं है। इसी बीच 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की तीन सीटों पर जयस के उम्मीदवारों को स्वयं के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतार दिया। जिनमें पिछली बार कांग्रेस की टिकट पर ही चुनाव जीते जयस के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. हीरालाल अलावा शामिल है। और इसलिए बैतूल जिले में जयस के जो तथाकथित उम्मीदवार मैदान में उतरे वे निर्दलीय प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव लड़े।
तीन उम्मीदवार चुनाव मैदान से हुए बाहर
जयस के जिलाध्यक्ष संदीप धुर्वे द्वारा बैतूल की पांच विधानसभा सीटों पर 18 अक्टूबर को जिन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी उनमें से एक उम्मीदवार ने तो फार्म भरने के बाद वापस ले लिया और दो तो नामांकन जमा करने तक नहीं आए। आमला से घोषित प्रत्याशी राकेश महाले ने नाम वापसी के आखरी समय में अपना फार्म उठा लिया। वहीं मुलताई से घोषित प्रत्याशी गुड्डू अहाके तो फार्म तक नहीं भरा। यही स्थिति घोड़ाडोंगरी सीट में भी रही जहां जयस के घोषित प्रत्याशी इंजीनियर चंद्रशेखर राजा धुर्वे ने भी चुनाव लड़ना उचित नहीं समझा और फार्म तक नहीं भरा।
जैसा था नाम वैसा नहीं दिखा काम
भीमपुर में करीब दो वर्ष पूर्व हुए आगजनी और तोड़फोड़ के बाद जयस का नाम लोगों की जुबान पर रट गया था। इसके बाद हुए पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य और जनपद अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर विजयी होने के बाद जयस का ग्राफ तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा था लेकिन जैसे ही विधानसभा चुनाव आया और जयस के घोषित 80 प्रतिशत प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ना मुनासिब नहीं समझा । फिलहाल विधानसभा चुनाव में सिर्फ भैंसदेही से खड़े हुए प्रत्याशी संदीप धुर्वे को छोड़ दें तो अन्य किसी भी उम्मीदवार की चर्चा तक नहीं हो रही है। कुल मिलाकर यह कह यूवीना अतिश्योक्ति नहीं होगी जैसा जयस का नाम हुआ था वैसा उनका नाम राजनीति की पटल पर दिखाई नहीं दिया।