Political News – फूलछाप कांग्रेसी और पंजाछाप भाजपाई हो गए एक्सपोज

By
On:
Follow Us

भीतरघाती और विद्रोहियों से चुनाव परिणाम हो सकता है प्रभावित

Political Newsबैतूल विधानसभा चुनाव २०२३ को लेकर कल मतदान शांति पूर्ण ढंग से संपन्न हो गया है। अब सभी को ३ दिसम्बर का इंतजार है जब चुनाव परिणाम सामने आएंगे। पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों उम्मीदवारों के समर्थक अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं लेकिन चुनाव परिणाम तो ईव्हीएम मशीन में कैद हो गए हैं। देखना यह है कि किसका दावा सही होता है और कौन बड़बोला साबित होता है।

सामान्यत: हर चुनाव में विशेषकर कांग्रेस में बड़ी संख्या में भीतरघात होता रहा है लेकिन इस बार कहीं-कहीं पर अपने आपको कट्टर भाजपाई बोलने वाले भी पंजा छाप भाजपाई के रूप में दिखाई दे रहे थे। पर दोनों पार्टी के भीतरघाती और विद्रोही हर जगह एक्सपोज भी हुए हैं।

कांग्रेस में ज्यादा हुआ भीतरघात | Political News

यह तथ्य सार्वजनिक है कि जिले में वर्षों से कांग्रेस के दो गुट हैं। समय-समय पर यह गुट एकता का दावा करते हैं लेकिन मौका आने पर एक-दूसरे को निपटाने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के दिग्गजों के खुले निर्देशों के बावजूद इस विधानसभा चुनाव में भी बैतूल, मुलताई, घोड़ाडोंगरी और आमला सीटों पर ऐसे कई चेहरे एक्सपोज हुए हैं जो पदों पर रहने और पार्टी में वरिष्ठ माने जाने वाले फूलछाप कांग्रेसी के रूप में दिखाई दिए हैं।

बैतूल विधानसभा में इसकी संख्या ज्यादा थी। ऐसी चर्चा है कि विशेषकर बैतूल नगर और आठनेर नगर सहित आसपास के क्षेत्र में कई कांग्रेसी कान में जाकर कमल के फूल पर मोहर लगाने की चर्चा कर रहे थे। इसी तरह से घोड़ाडोंगरी में कुछ ऐसे कांग्रेसी भीतरघात कर रहे थे जो राहुल उइके को उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज थे। ऐसी क्षेत्र में चर्चा आम थी।

आमला सारनी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी से नाराज कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी भी भीतरघात करने से बाज नहीं आए। मुलताई क्षेत्र में वैसे तो कांग्रेस में कोई बड़ा भीतरघात नहीं हुआ लेकिन ऐसी छुटपुट खबरें सामने आई है।

भाजपा में विद्रोह भी भीतरघात भी

अनुशासन का दंभ भरने वाली कैडर बेस्ड पार्टी भारतीय जनता पार्टी में भी इस विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में भीतरघात तो हुआ ही भैंसदेही और मुलताई विधानसभा सीटों पर भाजपा के विद्रोही भी चुनाव मैदान में दिखाई दिए। बैतूल सीट की बात करें तो यहां पर भाजपा उम्मीदवार से असंतुष्ट माने जाने वाले एक वर्ग ने लगभग खुलकर पंजाछाप भाजपाई का रोल अदा किया।

कल मतदान के दिन तो ऐसे कई भाजपाई विभिन्न कई पोलिंग बूथों पर जाकर भाजपा उम्मीदवार का काम कर रहे कई लोगों को शांत रहने की बात कह रहे थे। वहीं पुराना शंकर नगर जो अब लोहिया वार्ड हो गया है वहां ऐसे ही एक भीतरघाती ने भाजपा के लिए सक्रिय एक वरिष्ठ कार्यकर्ता को घर जाकर आराम करने का ज्ञान दिया। इसी तरह से जवाहर वार्ड के एक पोलिंग बूथ पर भी कुछ भीतरघाती कांग्रेस को वोट देने के लिए अपने परिचित मतदाताओं को सलाह देते दिखाई दिए।

मुलताई में तो भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य निर्दलीय चुनाव लड़ रही अपनी भाभी के लिए खुलकर मैदान में दिखाई दी। इसी तरह से उम्मीदवार के पति जो भाजपा में जिला कार्यसमिति के सदस्य थे वे भी सक्रिय रहे। यह बात अलग है कि भाजपा ने तत्काल ऐसे विद्रोहियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

यही स्थिति भैंसदेही विधानसभा सीट पर रही जहां भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री ने प्रहार जनशक्ति पार्टी से चुनाव लड़ा। भैंसदेही सीट पर भाजपा प्रत्याशी को भी कई वरिष्ठ भाजपाईयों की भीतरघात झेलनी पड़ी। चर्चा है कि ये भीतरघाती भी प्रहार जनशक्ति पार्टी का समर्थन करते दिखाए दिए।

एक्सपोज हुए भीतरघाती | Political News

चूंकि विधानसभा चुनाव में क्षेत्र इतना सीमित होता है कि यदि कोई प्रमुख कार्यकर्ता अपनी पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ अंदर ही अंदर भीतरघात कर रहा हो तो वो भी सार्वजनिक हो जाता है और इस बार तो ऐसा खुलकर हुआ है। बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया के इस जमाने में मोबाइल रिकार्डिंग भी जमकर वायरल हो रही है। जिससे कई भीतरघातियोंं का चेहरा सामने आया है। चर्चा है कि कांग्रेस में तो भीतरघातियों के नाम चुनाव शुरू होने से पहले ही सबकी जुबान पर थे। यही स्थिति भाजपा में भी थी। विशेषकर बैतूल शहर में अपने आपको हिन्दुत्व का पैरोकार बताने वाले कई वरिष्ठ भाजपाई भी एक्सपोज हुए हैं।

परिणाम पर पड़ सकता है आंशिक असर

वैसे तो मतदाता अंत में प्रमुख राजनैतिक दल को ही वोट देने में भरोसा करता है, लेकिन कभी-कभी विद्रोही उम्मीदवार इतने मत प्राप्ति कर लेता है कि चुनाव परिणाम प्रभावित हो जाए। वर्तमान में सिर्फ भैंसदेही ऐसी सीट दिखाई दे रही है जहां भाजपा से विद्रोह कर चुनाव लड़ रहे प्रहार जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार यदि अधिक वोट प्राप्त करता है तो चुनाव प्रभावित हो सकता है, ऐसा राजनैतिक समीक्षकों का मानना है। घोड़ाडोंगरी सीट पर भाजपा में कोई विद्रोह नहीं दिखाई दे रहा है तो भैंसदेही सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार भीतरघात का सामना नहीं कर रहा है।