किसानो को कम समय में मालामाल बना देगी मटर की खेती! सम्पूर्ण जानकारी

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किसानो को कम समय में मालामाल बना देगी मटर की खेती! सम्पूर्ण जानकारीटर एक लोकप्रिय सब्जी है जिसकी खेती भारत में विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में की जाती है। यह एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल भी है जो मिट्टी में नाइट्रोजन फिक्स करती है। यदि आप मटर की खेती करना चाहते हैं, तो यहां कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:


, मटर एक लोकप्रिय सब्जी है जिसकी खेती भारत में विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में की जाती है। यह एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल भी है जो मिट्टी में नाइट्रोजन फिक्स करती है। यदि आप मटर की खेती करना चाहते हैं, तो यहां कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

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जलवायु और मिट्टी:

  • मटर ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से उगता है। 10°C से 20°C का तापमान इसके लिए अनुकूल होता है।
  • मटर को दोमट, बलुआही दोमट और भारी दोमट मिट्टी सहित विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है।
  • मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

बुवाई का समय:

  • भारत में, मटर की बुवाई का समय विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होता है।
  • उत्तर भारत में, रबी की फसल के लिए अक्टूबर-नवंबर और खरीफ फसल के लिए जून-जुलाई में बुवाई की जाती है।
  • दक्षिण भारत में, मटर की बुवाई साल भर की जा सकती है, लेकिन सितंबर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च का महीना सबसे उपयुक्त होता है।

किस्में:

  • मटर की कई किस्में उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ लोकप्रिय किस्में हैं:
    • अर्ली पिक: पूसा प्रगति, पूसा सुभाग, हेमंत, HUD 6, Pusa Snowbird
    • मध्यम पिक: HU 15, Parvati, Azad P-1, Sagar Matar 6, Malviya 15
    • देर से पिक: JP 33, Lincoln, Arkel, Super Snowbird

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बीज उपचार:

  • बुवाई से पहले, बीजों को 24 घंटे के लिए ठंडे पानी में भिगोकर, और फिर थाइरोम या कैप्टन से उपचारित करना चाहिए।

खेत की तैयारी:

  • खेत को अच्छी तरह से जुताई और पाटा करके तैयार करें।
  • गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद 20-25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से डालें।
  • यदि मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है, तो जिंक सल्फेट या बोरॉन का छिड़काव करें।

बुवाई:

  • मटर की बुवाई कतारों में करें। बुवाई की दूरी किस्म और जलवायु पर निर्भर करती है। आमतौर पर, पंक्तियों के बीच की दूरी 30-45 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 2-3 सेमी रखी जाती है।
  • बीजों को 2-3 सेमी गहरी बुवाई करें।

सिंचाई:

  • मटर को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। पौधों के शुरुआती चरण में हल्की सिंचाई करें, और बाद में फूल आने और फलियाँ बनने की अवस्था में थोड़ी अधिक सिंचाई करें।
  • जलभराव से बचें, क्योंकि इससे जड़ गलन हो सकती है।

खरपतवार नियंत्रण:

  • खरपतवारों को नियमित रूप से हटाते रहें, क्योंकि वे पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।
  • खरपतवार नियंत्रण के लिए आप हैण्ड वीडिंग या हर्बिसाइड का उपयोग कर सकते हैं।

कीट और रोग नियंत्रण:

  • मटर की फसल पर कई तरह के कीट और रोगों का हमला हो सकता है। सबसे आम कीटों में एफिड्स, थ्रिप्स और सेना चूंहे शामिल हैं। रोगों में जड़ गलन, रतुआ रोग और पत्ती धब्बा रोग शामिल हैं।
  • इन समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए,

Deepak Vishwkarma

मैं एक अनुभवी कंटेंट राइटर हूँ। मुझे कंटेंट राइटिंग में लगभग 3 साल का अनुभव है। मैं अपने अनुभव के आधार पर रिसर्च करके ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, वायरल वीडियो, क्रिकेट और ट्रेंडिंग से जुड़े आर्टिकल लिखता हूँ।