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30 नहीं, 29 अप्रैल को है परशुराम जयंती! जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

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हिन्दू धर्म में परशुराम जयंती का खास महत्व है. पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली तृतीया तिथि पर विष्णु जी के छठे अवतार भगवान परशुराम जी की जयंती मनाने का विधान है. भगवान विष्णु के इस अवतार को बहुत ही उग्र माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन सच्चे मन से भगवान परशुराम की पूजा करने से ज्ञान, साहस और शौर्य आदि की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में खुशियां बढ़ती हैं.

अक्षय तृतीया डेट और शुभ मुहूर्त ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर तिथि खत्म होगी. ऐसे में 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा.

कब मनाई जाएगी पशुराम जयंती?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान परशुराम का अवतार हुआ है. इसलिए वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान परशुराम विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है. ऐसे में 29 अप्रैल को परशुराम जयंती मनाई जाएगी.

भगवान परशुराम जयंती का धार्मिक महत्व
परशुराम जयंती पर श्रद्धालु व्रत रखते हैं. भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र की विधिपूर्वक पूजा करते हैं. उनके जन्म की कथा का पाठ, हवन और दान करना भी इस दिन विशेष पुण्यकारी माना जाता है. परशुराम जी को ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों के गुणों का प्रतीक माना जाता है. इसलिए उनकी पूजा से ज्ञान, शक्ति और न्याय की प्राप्ति होती है.

परशुराम जयंती पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।

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