Pandit Pradeep Ji Mishra – श्रद्धालु-सेवकों की परीक्षा ले रहे हैं भोलेनाथ – पं. प्रदीप मिश्रा

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आप सभी की झोली भरकर ही भेजेंगे बाबा महादेव

बैतूल – Pandit Pradeep Ji Mishra – दो दिनों से रात्रि में हो रही बारिश से पूरा कथा प्रागंण पानी और कीचड़ से सराबोर हो गया है। मेरे द्वारा अपील करने के बाद भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु कथा का श्रवण करने पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं को कथा सुनने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो इसके लिए आयोजन समिति और सेवाभावी लोगों द्वारा भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन बारिश अधिक होने से कीचड़ से समूचा क्षेत्र सराबोर हो गया है। इसके बावजूद भी आपका इतनी बड़ी संख्या में कथा सुनने आना आपकी भोलेनाथ के प्रति अविरल भक्ति को ही दर्शाता है। मैं आपको नमन करता हूं। यह उक्त प्रवचन मां ताप्ती शिवपुराण समिति के तत्वावधान में कोसमी में आयोजित श्री शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन पं. प्रदीप मिश्रा ने दिए।

प्रेम जब अनंत हो गया है तो रोम-रोम संत हो गया(Pandit Pradeep Ji Mishra)

पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भगवान भोलेनाथ आपकी परीक्षा ले रहे हैं। भगवान के प्रति आपका यह भरोसा और दृढ़ता ही है कि आप महादेव की कथा को सुन रहे हैं। भक्ति को श्रवण कर रहे हैं। मेरा महादेव आपकी झोली को भरकर ही भेजेगा। बैतूल के इतिहास में पहली बार ऐसा आयोजन हो रहा है जिसमें श्रद्धालु पैदल चलकर यहां पहुंच रहे हैं। प्रेम जब परात्मा के प्रति अनंत हो जाता है तो भक्त का रोम-रोम संत हो जाता है।

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भक्ति के बल पर आते हैं परमात्मा

पं. मिश्रा ने कथा में आगे कहा कि रुक्मणी जी ने पत्र लिखा और भगवान श्रीकृष्ण द्वारका से रुक्मणी को लेने चले गए। पर सही मायने में देखा जाए तो श्रीकृष्ण रुक्मणी को लेने नहीं गए। बल्कि रुक्मणी की भक्ति-प्रेम इतना प्रबल था कि भगवान को वहां जाना ही पड़ा। इसको विश्वास, दृढ़ता कहा गया। कभी-कभी एक ही दिन की शादी की 5 से 6 पत्रिका आ जाती है। उसमें से दो पत्रिका छांटकर रख लेते हैं कि इनके यहां तो जाना ही पड़ेगा। पत्रिका का कागज, लिखाई, साईज सब बराबर है। लेकिन पत्रिका जिसने भेजी है उस व्यक्ति के प्रेम, वात्सल्य को देखने के बाद हम यह तय करते हैं कि कौन हमसे कितना प्रेम रखता है इसलिए उसके यहां तक तो जाना ही पड़ेगा। भगवान भी यही देखता है कि आपकी भक्ति, विश्वास कितना प्रबल है। ठीक इसी तरह से जिस भक्त की भक्ति प्रबल होगी परात्मा उसके पास पहुंचेगा ही।

क्षमता से अधिक कर रहे हैं व्यवस्था(Pandit Pradeep Ji Mishra)

पं. मिश्रा ने कहा कि कथा में व्यवधान उत्पन्न ना हो इसके लिए प्रशासन, पुलिस, विहिप, बजरंग दल, स्वास्थ्य विभाग, आयोजन समिति सहित पूरा बैतूल मेहनत कर रहा है। इन लोगों ने अपनी शादी में इतनी मेहनत नहीं की होगी। अपनी क्षमता से अधिक यहां पर व्यवस्था बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए सभी के कार्य सराहनीय है। बारिश होने से हुए कीचड़ युक्त जमीन को सभी बैठने लायक बनाने में जी-जान से जुट जाते हैं और फिर कथा प्रारंभ हो जाती है। यह सभी का विश्वास ही है कि कथा हो पा रही है। कथा स्थल हुए कीचड़ में श्रीजी शुगर मिल से लाकर भूसा डाला गया ताकि श्रद्धालुओं के लिए बैठने की व्यवस्था हो सके। बैतूल एसडीओपी सृष्टि भार्गव ने बताया कि कल रात में कथा स्थल पर जहां कीचड़ था डस्ट डलवाई जिससे किसी प्रकार का व्यवधान पैदा ना हो।

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जो विष पी ले वही है महादेव

ताप्ती मैय्या ने शिवजी से माँगा तो क्या मांगा? आपके भीतर की करूणा, शांति और दया। यह किसी में नहीं होगी जो महादेव में है। सभी को आजमा लेना भगवान शिव जी जैसी वात्सल्यता शायद ही किसी देवी देवता में होगी। देवताओं ने अमृत पिया और महादेव को विष दे दिया। जो विष हंसते -हंसते पी ले वही महादेव है। महादेव के जैसी दया-करूणा किसी और में हो ही नहीं सकती है। महादेव ने कभी नहीं यह कहा कि मुझे अमृत नहीं मिला। पार्वती जी ने कहा भी कि यह विष है। तो भोलेनाथ ने कहा कि जो आया वही ठीक है। मैं इसे ही ग्रहण करूंगा। पार्वती जी ने कहा तो क्या तुम विष पियोगे? शिवजी ने कहा हम दोनों पिएंगे। क्योंकि तुम मेरी अर्धांगनी हो। पत्नियों को भी कई बार ताने, व्यवहार, परेशानियों, समस्याओं के रूप में विष में पीना पड़ता है। ताप्ती मैय्या ने कहा कि विष पीने के बाद भी जो आपके पास शांति, स्नेह, करूणा है वह मुझे दे दें। समाचार लिखे जाने तक कथा जारी थी।

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