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Panchayat Election : पहले पंचायत फिर हो सकते नगरीय निकाय चुनाव

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पंचायत आरक्षण के लिए पहली अधिसूचना आज, 25 मई तक रिजर्वेशन

मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव पहले और नगरीय निकायों के चुनाव बाद में कराए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग की राज्य सरकार के अफसरों के साथ गुरुवार को चली बैठक में इसके संकेत मिले हैं। सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए पंचायतों का आरक्षण तय करने का कार्यक्रम जारी कर दिया है। आरक्षण की सूचना का प्रकाशन शुक्रवार को होगा। 25 मई तक आरक्षण की कार्रवाई पूरी करनी होगी। इसके साथ ही सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण तय करने की गाइडलाइन भी जारी कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 50प्रतिशत आरक्षण की सीमा में रहकर ओबीसी वर्ग के लिए सीट रिजर्व करनी होंगी।

ओबीसी के लिए 35 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा आरक्षण

यदि किसी निकाय में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण मिलाकर 50 प्रतिशत से कम है, तो वहां अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण उस निकाय की अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी से अधिक नहीं होगा। किसी भी निकाय में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 35 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

सबसे पहले एससी-एसटी का आरक्षण तय होगा

सबसे पहले अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए वार्ड निर्वाचन क्षेत्रों-पदों के आरक्षण की कार्रवाई होगी। यदि किसी पंचायत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए किया गया आरक्षण 50 प्रतिशत या उससे अधिक है, तो अन्य पिछड़े वर्ग के लिए पदों के आरक्षण की कार्यवाही की जाना अपेक्षित नहीं है, परन्तु यदि किसी पंचायत में बड़े निर्वाचन क्षेत्र पद विशेष के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए वार्ड, निर्वाचन क्षेत्र या पदों के आरक्षण में कुल 50 प्रतिशत से कम वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र या पद आरक्षित हैं, तो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग का कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से जितना कम है, उस सीमा तक आयोग की अनुशंसा के अनुसार अधिकतम सीमा को ध्यान में रखते हुए अन्य पिछड़े वर्ग के लिए सीट रिजर्व की जा सकेगी।
वहीं, महिलाओं के लिए अन्य वर्गों के अनुसार ही अन्य पिछड़े वर्ग में 50 प्रतिशत सीट रिजर्व की जाएंगी। इसके लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी कलेक्टर्स को निर्देश जारी कर दिए हैं।

वार्ड मेंबर के लिए ओबीसी आरक्षण इस तरह दिया जाएगा

यदि किसी पंचायत में कुल 10 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनमें 01 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए और 02 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं, इस प्रकार कुल 03 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित हैं, जो कुल वार्ड/निर्वाचन क्षेत्रों का 30 प्रतिशत है।

यदि अन्य पिछड़े वर्ग की जनसंख्या पंचायत में 20 प्रतिशत से ज्यादा है, तो भी अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 20 प्रतिशत तक यानी 02 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र चक्रानुक्रम से आरक्षित होंगे यानी 05 स्थान (वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र) रिजर्व होंगे।

सरपंच पद के ओबीसी आरक्षण इस तरह दिया जाएगा

यदि किसी जनपद पंचायत क्षेत्र में कुल 60 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें से 10 ग्राम पंचायतें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए तथा 5 ग्राम पंचायतें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इस प्रकार कुल 15 ग्राम पंचायतें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए आरक्षित हैं, जो कुल ग्राम पंचायतों (कुल सरपंच पदों) का 25 प्रतिशत है।यदि खंड क्षेत्र में अन्य पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 25 प्रतिशत से ज्यादा है, तो भी अन्य पिछड़े वर्ग के लिए कुल 60 ग्राम पंचायतों के 25 प्रतिशत तक यानी 15 ग्राम पंचायतें चक्रानुक्रम से आरक्षित होंगी। इस प्रकार इस खण्ड (जनपद पंचायत क्षेत्र) में कुल 30 ग्राम पंचायतें आरक्षित होंगी।

अध्यक्ष पद के लिए अन्य पिछड़े वर्ग का आरक्षण इस तरह मिलेगा

यदि किसी जिले में कुल 7 जनपद पंचायतें हैं, जिनमें से 01 जनपद पंचायत अनुसूचित जाति के लिए और 01 जनपद पंचायत अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इस प्रकार कुल 2 जनपद पंचायतें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जो कुल आरक्षण का 29 प्रतिशत तक है। यदि अन्य पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 21 प्रतिशत है, तब भी जनपद पंचायत अध्यक्ष के लिए 1 पद चक्रानुक्रम से आरक्षित होगा। इस प्रकार कुल 3 पद आरक्षित होंगे।

इस स्थिति में नहीं मिलेगा ओबीसी आरक्षण

यदि किसी जनपद पंचायत क्षेत्र में कुल 65 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें से 15 ग्राम पंचायतें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए, 20 ग्राम पंचायत अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। इस प्रकार कुल 35 ग्राम पंचायत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए आरक्षित है, जो कुल ग्राम पंचायतों (कुल सरपंच पदों) का 54 प्रतिशत हैं जो कि आधे स्थानों से अधिक है। ऐसे में अन्य पिछड़े वर्ग के लिए स्थान आरक्षित नहीं होगा।

यह भी समझिए यदि किसी पंचायत में कुल 15 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनमें से 2 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए कोई वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित नहीं है। इस प्रकार कुल 2 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित हैं, जो कुल निर्वाचन क्षेत्रों का 13 त्न है, तब 50 प्रतिशत की सीमा तक जाने पर अन्य पिछड़े वर्ग के लिए 37 प्रतिशत का अंतर बाकी रहता है। यदि पंचायत में अन्य पिछड़े वर्ग की जनसंख्या मात्र 14 प्रतिशत है, तो अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी के मान से मात्र 2 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र ही आरक्षित किए जाना है। ऐसी स्थिति में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए केवल 2 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र ही आरक्षित किये जा सकेंगे। इससे अधिक नहीं इस प्रकार ऐसे निकाय में कुल आरक्षण 27 प्रतिशत होगा।

जहां ओबीसी की आबादी ज्यादा वहां कैसे होगा आरक्षण

यदि किसी पंचायत में 20 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र हैं और उस पंचायत में अनुसूचित जाति वर्ग का 1 व अनुसूचित जनजाति वर्ग का 1 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित है। इस प्रकार 20 वार्डो या निर्वाचन क्षेत्रों में से कुल 2 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जो कुल 20 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्रों का 10 प्रतिशत है, तो ऐसे में यदि पंचायत में अन्य पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 47 प्रतिशत है, तो भी अन्य पिछड़े वर्ग के लिए अधिकतम 35 त्न या 07 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित होंगे। इस प्रकार ऐसी पंचायत में कुल 9 वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित होंगे और कुल आरक्षण 45 प्रतिशत होगा।

इस बात का भी रखना होगा ध्यान

अनुसूचित क्षेत्र (शेड्यूल्ड एरिया) में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण स्थानों (वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र) की कुल संख्या के आधे से कम नहीं होगा तथा सरपंच या अध्यक्ष के समस्त पद अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के लिए आरक्षित रहेंगे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में शेड्यूल एरिया में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए कोई भी पद या स्थान आरक्षित किया जाना कानूनन नहीं होगा। साभार

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