बैतूल – Nursing College – इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने मध्यप्रदेश के 241 नर्सिंग कालेजों की मान्यता वापस लेने की घोषणा करते हुए नोटिफिकेशन जारी किया है। इस आदेश से पूरे प्रदेश में हडक़म्प मच गया है। बैतूल जिले के भी 8 नर्सिंग कालेज शामिल हैं। इंडियन नर्सिंग काउंसिल के नोटिफिकेशन आने के बाद बैतूल में नर्सिंग कालेज के संचालक आगे की लड़ाई लडऩे के लिए रणनीति बना रहे हैं। इनमें से एक संचालक ने तो न्यायालय में शरण लेने की बात भी कही है।
गौरतलब है कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने अपनी वेबसाइट पर डाले गए नोटिफिकेशन के साथ एक लिस्ट भी संलग्न की गई है। जिसमें प्रदेश के 241 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता वापस लेने की बात कही गई है। इंडियन नर्सिंग काउंसिल के सचिव लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ सर्वजीत कौर के हस्ताक्षर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल को 241 नर्सिंग संस्थानों की सूची प्राप्त हुई है । जिसमें मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद द्वारा मान्यता नहीं दी गई है इसलिए धारा 14 (3)(बी)के तहत शक्तियों का प्रयोग करने वाली इंडियन नर्सिंग काउंसिल द्वारा पेश किए गए सभी नर्सिंग संस्थानों की मान्यता वापस लेने की घोषणा कर दी है ।
प्रदेश के 241 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता वापस ले ली है। सूची में बैतूल के जिन कॉलेजों के नाम हैं उनमें बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग, भारती स्कूल ऑफ नर्सिंग, मां मालती देवी मेमोरियल नर्सिंग कॉलेज, मां ताप्ती कॉलेज ऑफ नर्सिंग, संजीवनी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग, श्री ओम कॉलेज ऑफ नर्सिंग, वेदांश कॉलेज ऑफ नर्सिंग और विवेकानंद नर्सिंग कॉलेज बैतूल शामिल हैं।
आईएनसी नहीं माना तो जाएंगे न्यायालय
श्री ओम कालेज ऑफ नर्सिंग को संचालित करने वाली ओम स्वास्थ्य शिक्षा परिषद के सचिव सोनू पाल ने उनका पक्ष पूछे जाने पर बताया कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने एकतरफा कार्यवाही की है। जो बिल्कुल गलत है। उन्हें पहले भौतिक सत्यापन कराना चाहिए था अगर कोई कमी निकलती तो हम उसका पालन करते। पहले हम अपना पक्ष इंडियन नर्सिंग काउंसिल में रखेंगे। अगर हमारी सुनवाई नहीं हुई तो हम न्यायालय जाएंगे।
स्टूडेंट के भविष्य का सवाल है लड़ाई लड़ेंगे
नर्सिंग कालेज की मान्यता वापस लेने के आदेश के बाद संजीवनी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग की मान्यता वापस लेने के मामले में संचालक श्रीमती मंजू पंडाग्रे से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि हमें इसकी जानकारी मिली तो हमने चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय से चर्चा की है। इसके अलावा अधिकारियों से भी चर्चा की है। यह कार्यवाही का तरीका बिल्कुल गलत है। बिना नोटिस दिए कार्यवाही नहीं होनी थी। हजारों स्टूडेंट के भविष्य का सवाल है। हम आगे की लड़ाई लड़ेंगे।
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