Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

बॉर्डर की सुरक्षा में नई रणनीति, सेना प्रमुख को मिली टेरिटोरियल आर्मी की कमान

By
On:

रक्षा मंत्रालय ने सेना प्रमुखों के अधिकार को लेकर अधिसूचना जारी की है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सेना प्रमुख को टेरिटोरियल आर्मी को तैनात करने का विशेष अधिकार है. सैन्य मामलों के विभाग ने टेरिटोरियल आर्मी नियम 1948 के नियम 33 के तहत थलसेना प्रमुख को यह अधिकार दे दिया है कि वे टेरिटोरियल आर्मी के सभी अधिकारियों और सैनिकों को आवश्यक सुरक्षा ड्यूटी या नियमित सेना के समर्थन में सक्रिय सेवा (एंबॉडीमेंट) में बुला सकते हैं.

जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, मौजूदा 32 टेरिटोरियल आर्मी इन्फैंट्री बटालियनों में से 14 बटालियनों को देश के अलग-अलग सैन्य कमानों साउदर्न कमांड, ईस्टर्न कमांड, वेस्टर्न कमांड, सेंट्रल कमांड, नॉर्दर्न कमांड, साउथ-वेस्टर्न कमांड, अंडमान व निकोबार कमांड और आर्मी ट्रेनिंग कमांड (ARTRAC) में तैनात किया जाएगा.

दूसरे मंत्रालय के अनुरोध पर तैनात करने पर क्या प्रावधान?
एंबॉडीमेंट (तैनाती) केवल तभी की जाएगी जब इसके लिए बजट में धन उपलब्ध हो या आंतरिक बजट की बचत से इसे फिर से आवंटित किया गया हो. यदि टेरिटोरियल आर्मी की यूनिट किसी अन्य मंत्रालय के अनुरोध पर तैनात की जाती है, तो उसकी लागत संबंधित मंत्रालय के बजट से काटी जाएगी, न कि रक्षा मंत्रालय के बजट से.

टेरिटोरियल आर्मी का काम क्या है?
टेरिटोरियल आर्मी नियमित सेना का एक हिस्सा हैं और इसकी वर्तमान भूमिका नियमित सेना को स्टैटिक ड्यूटी से छूट देना और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में नागरिक प्रशासन की सहायता करना होता है. ऐसी स्थितियों में आवश्यक सेवाओं का रखरखाव करना है, जहां समुदायों का जीवन प्रभावित होता है या देश की सुरक्षा को खतरा होता है साथ ही जरूरत पड़ने पर नियमित सेना के लिए इकाइयां प्रदान करना है.

टेरिटोरियल आर्मी की यूनिट्स 1962, 1965 और 1971 के ऑपरेशनों में सक्रिय रूप से शामिल थीं. टेरियर्स ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक, उत्तर पूर्व में ऑपरेशन राइनो और ऑपरेशन बजरंग में भी सबसे सक्रिय तरीके से भाग लिया है.

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News